मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में रखा प्रस्ताव
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में श्रद्धालुओं को पूजन के लिये काउंटरों से चांदी के सिक्के भी विक्रय किये जाते थे। सन-2020 तक इन चांदी के सिक्कों को बेंचा गया। लेकिन इसके इनको काउंटरों से बेचना बंद कर दिया। जबकि मंदिर प्रबंध समिति को इससे ठीक आधा फायदा था। तात्कालिन प्रशासकों ने भी इस ओर रुचि लेना छोड़ दिया। इन सिक्कों को तो मंदिर प्रबंध समिति ब्रांडिग करना चाहती थी। लेकिन न जाने क्यों इस योजना को आधा अधूरा छोड़ दिया गया। सिक्के के एक ओर भगवान महाकाल का शिवलिंग तो दूसरी तरफ मंदिर का चित्र अंकित था।
महाकालेश्वर मंदिर के दो लड्डू काउंटरों से पूर्व में सिक्कों को विक्रय किया जाता था। मंदिर समिति 5 ग्राम चांदी का सिक्का 550 तथा 10 ग्राम का सिक्का 1100 रुपए में बेचती थी। जबकि बाजार में 5 ग्राम चांदी का सिक्का 275 और 10 ग्राम का सिक्का 550 रुपए में उपलब्ध था। ऐसे में ठीक डबल मुनाफा मंदिर प्रबंध समिति को इन सिक्कों से प्राप्त हो रहा था। वहीं दूसरी ओर श्रद्धालु इनको पूजाघर में रखने और अपने यादों को चिरस्थायी बनाये रखने के लिये खरीद कर काउंटरों से ले जाता था। अब भक्त इन काउंटरों पर पहुंच तो रहे हैं और इसकी डिमांड भी कर रहे हैं। लेकिन काउंटरकर्मियों द्वारा चांदी का सिक्का उपलब्ध नहीं होने का हवाला देकर उनको रवाना किया जा रहा है।
काउंटरकर्मियों का कहना है कि मंदिर प्रबंध समिति को चांदी का सिक्का श्रद्धालुओं को उपलब्ध कराना चाहिये। ताकि उनकी यादें भगवान महाकाल के साथ जुड़ सकें। देश-विदेश से आने वाले भक्त यादगार के रूप में सिक्के खरीदकर ले जाते थे।
त्योहारों पर बढ़ जाती थी डिमांड
चांदी काउंटरों पर उपलब्ध होने के चलते स्थानीय भक्त धनतेरस, दीपावली व पुष्य नक्षत्र के विशिष्ट संयोग में समृद्धि के लिए सिक्के खरीदते थे। महाशिवरात्रि, सवारी निकलने के दौरान देश विदेश से आये हुए श्रद्धालु इनको खरीदने के रुचि लेते थे। लेकिन विगत दो वर्षों से तो चांदी के दोनों ही वेरायटी के सिक्के मंदिर के काउंटरों से नदारद हैं। मंदिर प्रबंध समिति चाहे तो आगामी महाशिवरात्रि पर्व पर देव दीपावली मनाने के दौरान इन सिक्कों को बेंचकर मंदिर की ब्रांडिंग भी कर सकती है।
पैक में बेेंचकर ब्रांडिंग की थी तैयारी
श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की ब्रांडिंग के लिये चांदी के दोनों की वेरायटी के सिक्के अलग अलग पैक में बेचे जाने की योजना सन-2020 में तात्कालिन प्रशासक ने बनाई थी। इन पैकों में आरतियों, पर्व त्योहारों, महाकाल वेबसाइट आदि की जानकारी भी उपलब्ध करवाये जाने की योजना बनाई गई थी। लेकिन इसको मूर्तरूप नहीं दिया जा सका। इन सिक्कों का पैकों में बेचे जाने की योजना थी ताकि महाकालेश्वर मंदिर की ब्रांडिंग हो सके। लेकिन ऐसा हो ना सका।
मंदिर समिति सदस्यों की समिति
चांदी के सिक्कों को बनवाने के लिये एक समिति भी बनाई गई थी, जिसमें समिति सदस्यों के अलावा एक सुनार भी इस समिति में शामिल रहता था। मंदिर में रखी चांदी को तोलना और इसके बाद इसको इंदौर ढलवाने के लिये ले जाना आदि व्यवस्थाएं यह समिति ही करती थी। लेकिन अब जब काउंटरों से चांदी के सिक्के को बेचना ही बंद कर दिया गया है तो इन झंझटों से बचने के लियेे मंदिर समिति सदस्य भी मौन साधे हुए हैं। ज्ञात रहे कि यह चांदी के सिक्के 100 टंच चांदी से बनाये जाते थे।
पिछले दिनों हुई महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में इस मुद्दे को रखा गया था। ठहराव प्रस्ताव पास हो चुका है। भगवान ने चाहा तो महाशिवरात्रि पर्व से पूर्व चांदी के सिक्के काउंटरों पर उपलब्ध हो जायेंगे।
– राजेन्द्र गुरु, मंदिर प्रबंध समिति सदस्य