बाजार में मौत हुई सस्ती: 100 से 500 रुपए तक बिक रही चाइना डोर

डोर

जब तक जिम्मेदार अधिकारी जागेंगे जब तक घर-घर जा चुका होगा नायलॉन

धार, (आशीष यादव) अग्निपथ। शहर में पतंगबाजी का दौर शुरू हो चुका है। इसके साथ ही घातक और जानलेवा नायलॉन धागे का कहर भी देखने को मिल रहा है। लगातार लोग इस धागे की चपेट में आकर घायल हो रहे हैं लेकिन प्रशासन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं कर पा रहा है।

हर साल चायना डोर को प्रतिबंधित किया जाता है लेकिन इस बार प्रतिबंध को लेकर भी कोई आदेश अब तक देखने को नहीं मिले हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में नायलॉन धागे की बिक्री और बढऩे की आशंका है। दुकानों पर चोरी छुपे चायना डोर की बिक्री जारी है और पतंग के शौकीन इस धागे को अभी से खरीद कर घरों में रख रहे है। दूसरी ओर प्रशासन की अनदेखी के चलते चायना का नायलॉन का धागा खुलेआम बाजार में बेचा जा रहा है। शहर में पतंग व धागे की बिक्री अलग अलग क्षेत्र में हो रही है। इस बार नायलॉन की बिक्री नवंबर से ही शुरू हो चुकी है। इस मांजे के कारण अब तक कई दुपहिया वाहन चालक जख्मी भी हो गई है। शहर में आनंद चौपाटी पट्टा चौपाटी व हटवाड़ा व शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में गोपनीय तरीके से इसकी बिक्री हो रही है।

पुलिस-प्रशासन की नाक के नीचे धडल्ले से बिक रही चाइना डोर

लोगों व पक्षियों की जीवन के लिए खतरा होने के बावजूद शहर में चाइना की डोर पुलिस व प्रशासन की नाक के नीचे धड़ल्ले से बिक रही है। दुकानदार इसे चोरी छिपे बेच रहे है। ग्राहक से मोल भाव तय कर पहले पैसा लिया जाता है, फिर दुकानदार उन्हें लाकर चाइना की डोर दे देता है। सख्त नियम, सजा का प्रावधान नायलॉन मांजा बेचने को लेकर सख्त प्रावधान हैं, लेकिन फिर भी बाजार में इसकी बिक्री जोरों पर है। वहीं इन्हें भी दलालों के माध्यम से बाजार में बेचा जा रहा है।

महंगा हुए दाम

कोरोना काल के बाद बाजार भाव इनका भी बड़ा है। वही बाजार में सभी वस्तुए मंहगी हुई तो चाइना की डोर भी पीछे रहने वाली नहीं थी। इसलिए इसके भाव भी मंहगा हो गया। सूत्रों के मुताबिक चाइना डोर में सबसे ज्यादा मांग फाइटर व मोनो काइट की है। फाइटर 600 रुपए तो मोनो काइट का दाम 500 रुपए प्रति बंडल है। इसके अलावा 100 ओर 250 से 300 रुपए में चाइना डोर मिल रही है। इसे खरीदने के बाद उसे उचके में लपेटना पड़ता है। एक बंडल में करीब 6 से 8 हजार मीटर डोर आती है। इससे कई उचके तैयार किए जा सकते हैं यह काम रात्रि में ज्यादा हो रहा है।

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