धोखाधड़ी का दर्ज हो चुका है केस
उज्जैन, अग्निपथ। फर्जी डिग्री के आधार पर क्लीनिक खोलने और पार्टनर से लाखों की धोखाधड़ी करने वाले फरार डॉक्टर के खिलाफ एक और शिकायत सामने आई है। पुलिस जांच के बाद मामले में प्रकरण दर्ज करेगी। महानंदानगर में रहने वाले डॉ. अरुण सिन्हा ने खुद को न्यूरोलॉजिस्ट बताते हुए क्लीनिक खोलने के नाम पर सांईबाग कालोनी में रहने वाले सुरेश चौधरी के साथ 40 लाख की धोखाधड़ी कर दी थी। डॉक्टर की जांच के बाद उसकी डिग्री फर्जी होना सामने आई थी। नागझिरी पुलिस ने धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज किया था।
डॉक्टर फरार है, लेकिन उसकी धोखाधड़ी का एक मामला ओर सामने आया है। कायथा निवासी सुशील जैन ने माधवनगर थाने पहुंचकर डॉ. सिन्हा के खिलाफ शिकायती आवेदन देकर बताया कि उन्होने कुछ माह पूर्व अपनी माता का उपचार कराया था। डॉक्टर ने महंगी, जांच और दवाओं के नाम पर लाखों रूपये लिये, लेकिन उनकी माता ठीक होने के बजाय कोमा में चली गई। पुलिस ने शिकायती आवेदन पर जांच शुरू की है। जल्द मामले में फरार डॉक्टर के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जाएगा।
चौकी में घुसकर प्रधान आरक्षक को पीटा था, दोषी की सजा
उज्जैन,अग्निपथ। तराना कोर्ट ने पुलिस चौकी में घुसकर प्रधान आरक्षक से मारपीट करने के केस में बुधवार को फैसला सुनाया। करीब सात साल पूर्व हुई घटना में न्यायालय ने एक दोषी को सजा सुना दी,जबकि फरार आरोपी के फैसला लंबित रखा है।
जिला लोक अभियोजन अधिकारी राजेन्द खांडेगर ने बताया कि वर्ष 2015 में हवलदार विनय बघेल माकड़ौन थाने में पदस्थ था। उसकी ड्यूटी पुलिस सहायता केंद्र पर लगी थी। 10 नवंबर 2015 की रात करीब पौने ग्यारह बजे वह चौकी में रवि व विकास से बात कर रहा था। इसी दौरान पाट निवासी जसवंत पिता मांगीलाल साथी जगदीश पिता हरिनारायण औरे प्रकाश पिता गोकुल के साथ बाइक से आया था। उसने खुद को गांव का पटेल बताते हुए घर नहीं आने पर धमकाया।
इसी बात पर बहस होने पर तीनों ने चौकी में तोडफ़ोड़ कर बघेल को लाठी से पीटकर घायल कर दिया था। मामले में प्रकरण में अब तक की सुनवाई के बाद बुधवार को तराना के प्रथम श्रेणी यायिक मजिस्ट्रेट राकेश कुमार शर्मा ने फैसला सुनाया। उन्होंने प्रकाश को एक साल की सजा और ढाई हजार रुपए अर्थदंड दिया। सुनवाई के दौरान जसवंत की मौत हो गई और जगदीश के फरार है। प्रकरण में शासन का पक्ष सहायक लोक अभियोजन पप्पू चौधरी ने रखा।