महिदपुर, अग्निपथ। अच्छे-बुरे कर्म करने वाले सभी के आगे स्वर्गीय लिखा होता है। मरकर स्वर्गीय होना जरूरी नहीं है, जीते जी ही घर में ऐसा वातावरण तैयार करें कि घर स्वर्ग हो जाए। कुछ मंत्रों की टिप दे देता हूं जो है उसका आनंद लेना सीखो। किसी से भी कभी अपनी तुलना न करें। प्राप्त को ही पर्याप्त मानें। हिम्मत मत हारो, हिम्मत से हारो। दु:ख से घबराओ मत। उतार-चढ़ाव, वक्रता जिंदगी में आती रहती है।
यह बात जैन संत ललित प्रभ सागर महाराज ने रविवार को यहां मांगलिक के दौरान प्रवचन में कही। राष्ट्रसंत ने धर्मसभा में कहा कि जीवन प्रभु प्रसाद है। आईसीयू में भर्ती मरीज को देखें तो उसके पीछे हार्ट बीट की मशीन लगी रहती है। उसमें रेखाएं ऊंची- नीची होती है तब तक जिंदगी है। अगर सीधी रेखा आ जाए तो समझ लिया जाता है मौत-मृत्यु का प्रतीक।
जिंदगी को आह-आह करके नही वाह-वाह करके जियो। जो हमारा है वह जाएगा नहीं और जो हमारा नही है वह आएगा नहीं। भगवान हमारे साथ कभी गलत नहीं करता। दूसरों के सुख में सुखी होने की आदत डालो। दूसरों के दु:ख में उसे सुखी महसूस कराओ। हमेशा सकारात्मक बनें,नकारात्मक नहीं।
एकता का दिया संदेश
अपने प्रवचन में गुरुदेव ने जैन समाज को एकता का संदेश देते हुए कहा कि दिगंबर-श्वेतांबर के मंदिर को आपके द्वारा अलग-अलग बताने की बजाय हम दोनों में तीर्थंकर के मंदिर को देखते है। नजरिया मानसिकता बदलें। एकत्रीकरण के सूत्र के बारे में आपने बताया कि बूंद इक_े होकर सागर बन जाती है, धागा चादर में बदल जाता है, ईंटें मकान में बदल जाती हैं, शब्द शास्त्र में।
आपके साथ पधारे डॉ.श्री शांतिप्रिय सागर जी ने जीवन है उपहार प्रभु का, इसको रोशन कीजिए, पहले अपने अंतर्मन को शांति से भर लीजिए… गीत गाकर अपने व्याख्यान की शुरुआत की। उन्होंने अपने प्रवचन में कहा कि लोगों की यह खासियत है कि हम पूरी दुनिया को बदलना चाहते हैं पर स्वयं को बदलने की कोशिश नहीं करते। धूल चेहरे पर जमी होती है और हम हैं कि आईना साफ करने लग जाते हैं। इंसान की प्रवृत्ति स्वयं का स्वभाव सुधारने की होना चाहिए। बदला लेने की ना सोचें, बदलाव लाने की तरफ ध्यान दें। गलती हो तो झुक जाओ और गुस्सा आए तो रुक जाओ। यह बात ध्यान में रखें तो कभी भी जिंदगी में कोई कष्ट नहीं उठाना पड़ सकता।
समाजजन ने की भव्य अगवानी
धर्मसभा के पहले गुरुदेव राष्ट्रसंत ललितप्रभजी एवं डॉ. मुनि शांतिप्रिय सागर महाराज का नगर प्रवेश पर चलसमारोह निकाला गया। समाजजन ने भव्य अघवानी की। चलसमारोह लाल मंदिर से प्रारंभ होकर गांधी मार्ग, राजेंद्र मार्ग होते हुए असाडी गली पहुंचा, जहां आपकी जय- जयकारों से अगवानी की गई। जिनालय दर्शन पश्चात आप वहीं बने प्रवचन स्थल पर पहुंचे और मांगलिक प्रदान कर प्रवचन दिए।
कुमारी लवीशा लुणावत और श्रीमती रिंकू लुणावत के छठ यात्रा पूर्ण होने के प्रसंग पर 1:30 से 2:30 तक चौबीसी व सामायिक मंडल त्रिस्तुतिक पौषधशाला में रखी गई। सोमवार को प्रवचन प्रात: 9 बजे प्रारंभ होंगे।