स्वामी शिवोम् तीर्थ जी महाराज की जन्म शताब्दी महोत्सव हो रहे कई धार्मिक आयोजन
देवास। श्रोता वही है, जो कथा में से मोती निकालता है। अपने लक्ष्य से बढकऱ उन्नति करना है, बोझ बनकर उन्नति के लिए धोखेबाज नहीं बनना है। किसी सहज, सरल व्यक्ति को धोखा देना अपनी आत्मा को कचोटना है। शिव मंदिर में एक लोटा जल समर्पित करने से जल चढ़ाने वालों का संबंध शंकर जी से बैकुंठ लोक तक रहता है।
यह बात नारायण कुटी सन्यास आश्रम में पं. पू. गुरूदेव ब्रह्मलीन श्री स्वामी शिवोम् तीर्थ जी महाराज की जन्म शताब्दी महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित त्रि-दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा के द्वितीय दिवस पं. धर्मेन्द्र जी उपाध्याय ने कहीं। आश्रम के सेवक ने बताया कि महोत्सव के प्रथम दिवस स्वामी शिवोम तीर्थ महाराज जी के छायाचित्र प्रदर्शनी का शुभारंभ दक्षिणा मूर्ति भवन में किया गया। रात्रिकालीन आरती पश्चात रात्रि 9 से 11 बजे तक मुंबई आश्रम के साधकों द्वारा भजन संध्या हुई जो देर रात्रि तक चली। महोत्सव के अंतर्गत आज 9 जनवरी को प्रात: 4 से 6 बजे तक सामुहिक साधन, प्रात: 6.30 से 8.30 बजे तक सामुहिक गुरूगीता पाठ व पादुका दुग्धाभिषेक, प्रात: 9 से दोपहर 12 बजे तक स्वामी मृत्युंजय तीर्थ व स्वामी शंकर चैतन्य तीर्थ भजन होंगे।
वहीं रात्रि 9 से 11 बजे तक स्वामी मृत्युंजय तीर्थ व स्वामी शंकर चैतन्य पीतीर्थ द्वारा भजनों की प्रस्तुति दी जाएगी। पं. उपाध्याय ने आगे कहा कि जीवन की सार्थकता तो शिव की भक्ति में ही निहित है। कलयुग में शिव महापुराण की कथा ही सबसे आसान मुक्ति का साधन है, जो शिव की कथा श्रवण करता है उसके सात जन्मों के पाप भी कट जाते हैं।
उन्होंने महादेव की भक्ति और उन्हें प्रसन्न करने के उपाय भी बताएं। शिव की भक्ति कर इस संसार रूपी भवसागर को पार कर अपने जीवन को सार्थक बनाएं। कथा के दौरान श्रद्धालु नाचते झूमते भक्ति में आनंदित नजर आए। आरती पश्चात प्रसादी का वितरण किया गया। महोत्सव के दौरान नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन भी किया गया, जिसका सैकड़ो भक्तों ने लाभ लिया।