फिल्म अभिनेता आशुतोष राणा को दिया ठहाका सम्मान

यूथ आईकॉन अवार्ड कॉमेडियन जय विजय सचान को

उज्जैन, अग्निपथ। 23वां अंतरराष्ट्रीय ठहाका आयोजन सफलता की नई इबारत लिख गया। गीत, संगीत, मिमिक्री, कविता, नृत्य और आध्यात्मिक आख्यानों ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह पहला अवसर था जब सर्द भरी रात में श्रोताओं ने ठहाकों की गूंज में शिव वंदना और राम कृष्ण के प्रसंगों को भी अपलक सुना।

कालिदास अकादमी के मुक्ताकाशी मंच पर आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केबिनेट मंत्री मोहन यादव, पूर्व केबिनेट मंत्री सचिन यादव, प्रेम सिंह यादव, राजेन्द्र भारती, कलावती यादव, रवि राय, चेतन यादव, रवि भदौरिया, मनीष शर्मा, योगेश शर्मा आदि ने दीप आलोकित कर 23वें ठहाका आयोजन का आगाज़ किया। शस्त्र और शास्त्र के रूप में बहादुर बच्चों की अदभुत प्रस्तुति ने दर्शकों का मन मोह लिया। रजनी नरवरिया के निर्देशन में शक्ति पारम्परिक लोक कला संस्थान के बच्चों ने दोनों हाथोँ से तलवारों का संचालन किया तब दर्शक अवाक रह गए।

ऋतु शर्मा शुक्ला के संयोजन में नृत्य सिद्धा कथक अकादमी के कलाकारों ने शिव वंदना प्रस्तुत कर मंच को गरिमा प्रदान की। लोकप्रिय भजन गाहक सन्नी अलबेला एवं ग्रुप ने महाकाल सरकार गीत की प्रस्तुति देकर वातावरण को भक्तिमय बनाया। फि़ल्म अभिनेत्री स्वर्णा मुदगल और डॉ. महेंद्र यादव की नोकझोंक ने कार्यक्रम को ठहाकों से सराबोर कर दिया। डॉ. महेन्द्र यादव ने इस दौरान लतीफों के अलावा कविताओं का रंग भी बिखेरा। उन्होंने शीत लहर में कविता के हीटर की गर्माहट जैसा अहसास कराया।

देश विदेश में अपने जबरदस्त हास्य और मिमिक्री से धूम मचाने वाले जय विजय सचान का सभी को इंतजार था। उन्होंने डेढ़ धंटे तक श्रोताओं को अपनी जगह से हिलने नहीं दिया। कोरोना को केंद्र में रख कर जय विजय सचान ने हास्य का मचान बनाकर ठहाका महफिल को उस पर काबिज कर दिया। फि़ल्म कलाकारों की आवाज़ में सचान ने कई रोचक किस्से सुनाए। दो फि़ल्म फेयर अवार्डी आशुतोष राणा ने मंच पर आते ही श्रोताओं का मस्तक झुका कर अभिवादन किया।

श्रोताओं ने भी अपने प्रिय कलाकार का खड़े होकर सम्मान किया। राणा इस सम्मान से अभिभूत हुए। अपार भीड़ को देख कर वे बोले मैं आपके प्रेम से आल्हादित हूँ। उन्होंने कलेक्टर आशीष सिंह की विशेष फरमाइश पर देश के प्रख्यात औज कवि राज्य सभा सदस्य रहे पंडित रामधारी सिंह दिनकर के खंड काव्य रश्मि रथ के चुनिंदा छंद सुना कर माहौल को अलहदा मुकाम दे दिया। उनकी खनकदार आवाज़ का जादू सिर चढ़ कर बोल रहा था।

ठहाका महोत्सव के संस्थापक संयोजक डॉ. महेंद्र यादव से रूबरू होकर उन्होंने राम के जीवन प्रसंगों पर मार्मिक शास्त्रर्थ के जरिये अपने आराध्य का जि़क्र भी किया। पूर्व केबिनेट मंत्री सचिन यादव की मांग पर राणा ने स्वरचित कल्कि संवाद कविता सुनाकर अपने काव्य कौशल का परिचय दिया। यह पहला अवसर था कि जब श्रोता ठहाका के मंच से भक्ति रस का लुत्फ उठा रहे थे। वातावरण को परिवर्तित करते हुए उन्होंने बुंदेलखंडी व्यंग्य का वाचन कर श्रोताओं को खूब हंसाया।

अंत मे शिव स्त्रोत का पाठ किया। वे करीब 2 घंटे तक मंच पर रहे। क्षिप्रा फाइन आर्ट कालेज के प्रतिभावान बच्चो ने मंच पर ही राणा का पोट्रेट बनाकर सभी को रोमांचित कर दिया।

इस दौरान कालिदास सम्मान कवि नरेंद्र सिंह अकेला को, मालवा रत्न सम्मान – कवि अशोक नागर और उज्जैन काव्य रत्न सम्मान – कवि सुरेंद्र सर्किट को दिया गया। दिल्ली की कवयित्री नमिता नमन ने आभार व्यक्त किया। आयोजन को सफल बनाने में हरिसिंह यादव, ललित लुल्ला, रितिक यादव, मनोहर परमार, विजय तिवारी, आशीष खण्डेलवाल, राहुल प्रजापति, रोहित चौहान आदि की प्रमुख भूमिका रही।

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