मोक्षदायिनी शिप्रा में किया पर्व स्नान
उज्जैन, अग्निपथ। हवा की गति और पतंगबाजों का उत्साह दोनों ने मिलकर शनिवार को शहर के आसमान में पतंग का जाल सा बिछा दिया। मकर संक्रांति दो दिन होने से परंपरागत रूप से 14 जनवरी को भी पर्व मनाया गया। वो काट्टा….है कि आवाज से गली मोहल्ले गुंजायमान हो गये। आज भी मकर संक्रांति का उल्लास शहर में छायेगा। मंदिरों में भी पतंगों से भगवान के दरबार का आकर्षक श्रृंगार किया गया था। वहीं शिप्रा में स्नान कर लोगों ने दान पुण्य किया।
सुबह 6 बजे से ही शहर की गली मोहल्लों में डीजे पर गाने की आवाज सुनाई देने लगी थी। दोपहर होते होते शहर का आसमान पतंगों से पट गया था। वहीं फ्रीगंज और तोपखाना आदि क्षेत्रों में लोग अपने बच्चों और खुद के लिये पतंग खरीदते नजर आये। वो काट्टा है….की आवाज से गली मोहल्ले गुंजायमान हो रहे थे।
तेज आवाज में बजते डीजे पर्व के उल्लास की सूचना दे रहे थे। छोटे छोटे बच्चे अपने परिजनों के साथ अपनी घरों की छत पर खड़े होकर पतंग उड़ा रहे थे। शहर की सडक़ों पर भी कटकर पतंगों को बच्चों के झुंड लूट रहे थे। आज भी मकर संक्रांति का पर्व मनाये जाने के कारण वो काट्टा है….की आवाज से गली मोहल्ले में गुंजायमान होगी।
मोक्षदायिनी शिप्रा में लगाई डुबकी
मकर संक्रांति का पर्व होने के कारण रामघाट सहित शिप्रा के अन्य घाटों पर भी स्नान दान करने वाले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ दिखाई दी। नदी में डुबकी लगाने के बाद सूर्य देवता का अघ्र्य देने के बाद लोगों ने गरीबों को दान पुण्य भी किया। स्नान के बाद लोगों ने महाकाल, हरसिद्धि मंदिर पहुंचकर भगवान का दर्शन लाभ भी लिया।
पिछले साल का स्टॉक भी हुआ खत्म
इस बार पतंग मांझे की जोरदार बिक्री हुई। तोपखाना, शहीद पार्क आदि क्षेत्रों की दुकानों पर बड़ी संख्या में लोगों ने पहुंचकर इनको खरीदा। हालांकि पिछले वर्षों से इस बार पतंग मांझे के भाव तीन गुना अधिक रहे। इसके बावजूद लोगों ने अपने मनोरंजन के लिये जमकर इनकी खरीदी की। तोपखाना के एक पतंग व्यापारी ने बताया कि चायना मांझा बंद होने का व्यापार पर असर पड़ा है। चार गुना अधिक आय हुई है। पिछले वर्षों का स्टॉक किया हुआ पतंग मांझा भी इस बार बिक गया। व्यापारी इससे खुश नजर आये।