श्री महाकालेश्वर मंदिर आफिस के कर्मचारी प्रतिदिन नहीं लगा रहे थंब
उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में प्रभारी व प्रभारी अधिकारी अपना अतिरिक्त वेतनमान बढ़वाने के लिये जहां एक ओर प्रयास में लगे हुए हैं। वहीं इनकी शैक्षणिक योग्यता पर भी सवाल उठ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर अब वही पुराना ढर्रा चलने लगा है। फील्ड तो ठीक आफिस में बैठने वाले कर्मचारी भी प्रतिदिन थंब नहीं लगा रहे हैं। ज्ञात रहे कि तात्कालिन कमिश्नर ने औचक निरीक्षण कर रजिस्टर में हस्ताक्षर करने की हेराफेरी को पकड़ा था।
दैनिक अग्निपथ ने इस बात का खुलासा किया था कि प्रभारी व प्रभारी अधिकारी वार्षिक वेतनमान के अलावा अतिरिक्त वेतन में वृद्धि के प्रयास में लगे हुए हैं। इसके लिये तीन सदस्यीय कमेटी भी गठित कर इस पर विचार करने की चर्चा चल रही है। ऐसे में सवाल इस बात का उठ रहा है कि जोभी प्रभारी व प्रभारी अधिकारी बनाये गये हैं, उनकी शैक्षणिक योग्यता क्या है। यहां पर इस बात का खुलासा नहीं किया जा रहा है कि महाकालेश्वर मंदिर की कौन सी शाखा का प्रभारी व प्रभारी अधिकारी जिस पद पर बैठा हुआ है। उसके योग्य है अथवा नहीं। लेकिन इस बात की पूरी जानकारी है कि इन पदों पर बैठे अधिकांश के पास शैक्षणिक योग्यता के साथ इस पद पर बैठने की योग्यता भी नहीं है।
फील्ड वाले कर्मचारी पूरा दे रहे समय
महाकालेश्वर मंदिर में फील्ड में कार्य करने वाले कर्मचारी तो अपना पूरा ड्यूटी समय में कार्य में लगे हुए हैं। लेकिन इन शाखाओं के कर्मचारी क्या कार्य कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प रहेगा। यदि औचक निरीक्षण किया जाय तो अधिकांश कर्मचारी अपनी सीट से नदारद मिलेंगे। किसी को काम आ गया तो निकल गया। तो कोई दूसरों के जिम्मे काम सौंपकर बाहर तफरी भी कर रहा है।
थंब पर कभी-कभार अंगूठा
महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासनिक भवन के गेट पर इन आफिस में कार्य करने वाले कर्मचारियों के लिये थंब मशीन भी लगाई गई है। आफिस में कार्यरत कर्मचारी रजिस्टर में साइन तो करते हैं, लेकिन थंब कभी कभार ही लगाते हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह से आफिस में कार्य करने का लाभ उठाया जा रहा है।
आपको बता दें कि तात्कालिन कमिश्नर एमबी ओझा ने मंदिर के प्रशासनिक कार्यालय का औचक निरीक्षण किया था। यहां पर उन्होंने हस्ताक्षर रजिस्टर को जब्त किया था। जिसमें उन्होंने कई के हस्ताक्षर नहीं पाये थे तो एक ही दिन में लगाये गये हस्ताक्षर पाये गये थे। उन्होंने कर्मचारियों की एक लंबी लिस्टर निलंबन के लिये बनाई थी। लेकिन बाद में उन्होंने ताकीद कर इनको बख्श दिया था।