मिट्ठूलाल जैन के नेत्र व देहदान

उज्जैन, अग्निपनथ। संसार में कुछ ऐसे लोग अवतरित होते हैं जो उत्पीडि़त मानवता के परिप्रेक्ष्य में जीवन भर समाज में अपना योगदान देते रहते अग्रणी हुआ करते हैं।यहां तक भी ठीक है पर मृत्युपरांत भी उनके परिवार जन उनके जीते जी किए गए संकल्प अनुसार उनके नेत्रों और पार्थिव देह को उत्पीडि़त मानवता की सेवा में लगाने के लिए इन विकट/विषम परिस्थितियों में भी साहसिक कदम उठाते हुए तत्पर रहते हैं।

ऐसा ही एक अनुपम प्रेरक अनुकरणीय उदाहरण श्रीकृष्ण कॉलोनी,अंकपात मार्ग निवासी गुड वाला परिवार में देखने को मिला है जहां मिट्ठूलाल जैन का आकस्मिक देवलोकगमन होने पर परिवार जनों ने नेत्रदान और देहदान करने का अद्भुत साहस दिखाया है। मिट्ठूलाल श्री जैन श्वेतांबर छोटे साथ ओसवाल समाज के संरक्षक एवं स्थानकवासी श्रीसंघ,नमक मंडी के उपाध्यक्ष रहे। परिजनों की नेत्रदान की इच्छा का मान रखते हुए एडवोकेट महेंद्र सेठिया ने महिदपुर के जवाहर डोसी पीयूष को अवगत कराया। जिनकी सूचना पर आपके नेत्र उत्सर्जन करने के लिए बडऩगर की टीम डॉ. जीएम ददरवाल सहित अरविंद सोनी और परमानंद न्यास कर्मचारी ने अर्द्ध रात्रि करीब 12 बजे इस कार्य को संपन्न करवाया।

रही बात देहदान की तो प्रात: करीब 11 जैन श्रीसंघ और असंख्य लोगों की उपस्थिति में उनके परिवार जनों ने इस काम को संपन्न करवाया और पार्थिव देह मेडिकल विद्यार्थियों के शोध के लिए आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज को सुपुर्द की गई। इस समय विशेष रुप से वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ,नमक मंडी के महामंत्री महेंद्र कुमार जैन सेठिया,अजय जैन, सुनील श्रीमाल, सुशील सेठिया, संजय मित्तल आदि उपस्थित रहे। वास्तव में यूं देखा जाए तो इंसान के रूप में मिट्ठूलाल देवतुल्य ही कहे जाएंगे जो उनके अंग मृत्यु पश्चात भी इस तरह से काम आएंगे और 2 लोगों की अधियारी दुनिया में आंखों को रोशनी भी मिलेगी।

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