आज से शिव नवरात्रि शुरु

महाशिवरात्रि पर प्रजा के साथ राजाधिराज महाकाल भी रखेंगे उपवास

उज्जैन, अग्निपथ। महाशिवरात्रि पर राजाधिराज महाकाल अपनी प्रजा के साथ उपवास रखेंगे। यह विशेष संयोग शनि प्रदोष का रहेगा। वर्षों बाद यह संयोग शिवरात्रि पर आया है। खास बात यह है कि शिवरात्रि पर बाबा महाकाल को संध्या के समय अभिषेक-पूजन के पश्चात भोग अर्पित किया जाएगा। शनि प्रदोष और शिवरात्रि के संयोग पर दर्शन मात्र से ही सभी मनोकामना पूर्ण होगी। आज से नवशिवरात्रि पर्व प्रारंभ हो जायेगा। दिनभर अभिषेक पूजन के बाद शाम को विशेष श्रृंगार किया जायेगा।

मंदिर के पुजारी आशीष पुजारी ने बताया कि शिवनवरात्रि का पर्व फल्गुन मास की पंचमी तिथि पर 10 फरवरी से मनाया जाएगा। पहले दिन आज शुक्रवार को प्रात: भगवान चंद्रमोलेश्वर व कोटेश्वर का पूजन कर 11 ब्राम्हणों द्वारा एकादश एकादशनी रूद्र पाठ पुजारी घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में किया जाएगा। श्री महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि का पर्व 18 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

इस बार महाशिवरात्रि पर खास संयोग

इस बार महाशिवरात्रि महापर्व पर खास संयोग है। शनि प्रदोष होने से भगवान महाकाल के दर्शन मात्र से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। इस बार महाशिवरात्रि पर शनि प्रदोष का संयोग होने से मंदिर की परंपरागत व्यवस्था में परिवर्तन किया जाता है। शनि प्रदोष पर बाबा महाकाल का उपवास रहता है। सुबह भगवान को दूध और शक्कर का भोग लगाया जाएगा। सांयकाल पूजन के दौरान 11 ब्राम्हणों द्वारा रूद्राभिषेक के बाद भोग अर्पित होगा।

इसके पहले शिवरात्रि महापर्व होने से सुबह से भगवान महाकाल का कई प्रकार के फलों के रस से अभिषेक किया जाएगा। भगवान महाकाल से राष्ट्र कल्याण की कामना की जाती है। इसी प्रकार रात्रि 11 बजे से सुबह 4 बजे तक महापूजा की जाएगी। सुबह 5 बजे भगवान को सेहरा धारण कराया जाएगा। सुबह 6.30 बजे सेहरे की महाआरती होगी। इसके बाद सेहरा उतारकर भगवान को भस्म रमा कर दोपहर 12 बजे से भस्म आरती की जाएगी।

सप्तधान सात प्रकार के अनाज रहेंगे

शिवरात्रि पर भगवान को सप्त धान अर्पित कर विश्व के कल्याण की कामना की जाती है। बाबा महाकाल को सप्त धान में जौ, तिल, मसूर, उड़द, चावल, गेहूं, हरा मूंग अर्पित किया जाता है। इसके साथ ही बाबा महाकाल को सवा लाख बिल्ब पत्र अर्पित होंगे।

फलों के रस से होगा भगवान का अभिषेक

शिवरात्रि महापर्व पर भगवान महाकाल का केसर युक्त चंदन से पूजन व जलाधारी पर हल्दी से पूजन होगा। वहीं बाबा महाकाल का दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, भांग, कई प्रकार के फलों का रस, नारियल पानी, गन्ने के रस से अभिषेक किया जाएगा।

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