ऐसा क्यों: तीन हजार की लघुरूद्र अभिषेक रसीद पर 3 लोगों को गर्भगृह से दर्शन की अनुमति

महाकालेश्वर मंदिर shikhar

उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में कई व्यवस्थाओं में असमानता देखी जा रही है। लघु रूद्राभिषेक रसीद को ही देखें तो इससे तीन लोगों को ही गर्भगृह में प्रवेश की पात्रता है। लेकिन इतने ती मूल्य की 1500 की गर्भगृह दर्शन की रसीद पर चार लोगों को प्रवेश दिया जा रहा है। इससे पुजारी पुरोहितों में आक्रोश है। इसमें एक अन्य असमानता और देखी जा रही है।

पुजारी या पुरोहित तीन हजार रुपये की लघुरूद्राभिषेक रसीद कटवा कर तीन लोगों को गर्भगृह से दर्शन करवा रहा है। मंदिर प्रशासन ने इतने रुपये में केवल तीन लोगों को दर्शन की अनुमति प्रदान कर रखी है। जबकि तीन हजार रुपये की 750 रु. की गर्भगृह दर्शन की रसीद कटवा कर मंदिर प्रशासन ने चार लोगों को प्रवेश की अनुमति दे रखी है। ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि समान रुपये खर्च करने के बाद भी श्रद्धालुओं के साथ भेद किया जा रहा है। मंदिर प्रशासन की ओर से जारी रसीद में तो श्रद्धालुओं को वरियता दी जाकर अच्छी व्यवस्था दी जा रही है। लेकिन लघुरूद्र अभिषेक लेकर इतने ही रुपये खर्च करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कटौती की जा रही है।

मंदिर प्रशासन की रसीद में हिस्सा नहीं

मंदिर के पुजारी और पुरोहितों को मंदिर की दान पेटी से लेकर पूजन अभिषेक की रसीद में से 25-25 प्रतिशत अंश मिलता है। लेकिन मंदिर प्रशासन द्वारा व्यवस्था के नाम पर शुरु की गई 750 गर्भगृह दर्शन रसीद में से पुजारी पुरोहितों को कोई भी अंश नहीं दिया जाता। सीधे इसका पैसा मंदिर के खाते में जाता है। जबकि मंदिर से जारी सभी रसीदों में पुजारी पुरोहितों का अंश निहित रहता है।

नंदी बाबा चमक रहे तो फिर चांदी काली कैसे

 

नासिक की फर्म रेणुका ज्वेलर्स ने विगत 4 फरवरी से गर्भगृह की चांदी की सफाई का कार्य शुरु किया था जोकि तीन दिन चला था। लेकिन गर्भगृह की चांदी काली की काली ही रही। जबकि इसी फर्म द्वारा नंदी बाबा की सफाई का कार्य भी किया गया था। नंदी बाबा की चांदी जोरदार तरीके से चमक रही है।

जानकारी में आया है कि ऐसा इसलिये हुआ कि गर्भगृह की चांदी की सफाई मेें गीला पावडर का इस्तेमाल नहीं किया गया था। जबकि नंदी बाबा की सफाई में गीला पावडर का इस्तेमाल कर चमका दिया गया था। इतनी छोटी सी गलती का खामियाजा अब रेणुका ज्वेलर्स को भुगतना पड़ेगा। उसको अब भगवान महाकाल की सेवा का अवसर नहीं मिल पायेगा।

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