संयुक्त संचालक के व्यवहार से नाराज हुए किसान, भोपाल तक पहुंची शिकायत
उज्जैन, अग्निपथ। उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग की विक्रम कीर्ति मंदिर में आयोजित एक कार्यशाला के दौरान बुधवार की दोपहर जमकर हंगामा हुआ। विभाग के संयुक्त संचालक के व्यवहार से खिन्न हुए किसानों ने कार्यशाला का बहिष्कार कर दिया और बाहर निकलने लगे। उप संचालक व अन्य अधिकारी-कर्मचारियों ने स्थिति संभाली। उज्जैन में हुए इस हंगाम की शिकवा-शिकायत तत्काल ही भोपाल तक भी पहुंच गई है।
उद्यानिकी विभाग ने 14 और 15 फरवरी को एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के अंतर्गत जिला स्तरीय कृषक संगोष्ठी का आयोजन किया था। संगोष्ठी के समापन सत्र के दौरान हंगामे की स्थिति बनी। आयोजन के दौरान जब वक्तव्य चल रहे थे, इसी वक्त बडनगर के पास अजड़ावदा गांव के किसान डा. योगेंद्र कौशिश ने प्याज के प्रसंस्करण जुडे कुछ सवाल पूछ लिए।
डा. कौशिक का सवाल करना हुआ और उद्यानिकी के संयुक्त संचालक आशीष कनेश उन पर भडक़ गए। कहने लगे कि आप कार्यशाल में कितने किसान लेकर आए है़? किसान के साथ संयुक्त संचालक का रूखा व्यवहार अन्य किसानों को रास नहीं आया। बहस होने लगी तो हॉल में मौजूद दूसरे सारे किसान कार्यक्रम छोडक़र बाहर जाने लगे। करीब 15 मिनिट तक हंगामे की स्थिति बनी रही। उप संचालक व अन्य कर्मचारियों ने किसानों को समझा-बुझाकर हंगामा शांत कराया। इस बीच संयुक्त संचालक कनेश संगोष्ठी छोडक़र चले गए।
जवाब नहीं देना था तो बुलाया ही क्यों?
उद्यानिकी विभाग की संगोष्ठी में किसानों के हंगामे की आंच तत्काल ही भोपाल तक पहुंच गई। जिले के कुछ किसान प्रतिनिधियों ने उद्यानिकी व कृषि विभाग के आला अधिकारियों तक पूरे घटनाक्रम के वीडियों फुटेज भेजे और संयुक्त संचालक द्वारा किए गए दुव्यर्वहार की शिकायत की। अजड़ावदा के राष्ट्रपति पुरूस्कार प्राप्त किसान डा. योगेंद्र कौशिक ने बताया कि संगोष्ठी के दौरान संयुक्त संचालक का व्यवहार आपत्तिजनक था। ऐसे अधिकारियों की उज्जैन में कोई जरूरत नहीं है।
किसानों के सवालों का जवाब ही नहीं दे सकते तो ऐसी संगोष्ठियों का मतलब ही क्या रह जाता है। कौशिक ने बताया कि उज्जैन में उद्यानिकी विभाग के अधिकारी 3 साल में महज 16 ही किसानों को बैंको के जरिए लाभ दिला सके है।