सुरक्षाकर्मी वारदात रोकने में नाकाम, मंदिर काउंटरकर्मी के साथ हुई वारदात
उज्जैन, अग्निपथ। महाशिवरात्रि पर्व के दिन हरसिद्धि पाल पर लगाये गये लड्डू प्रसाद काउंटर से 35 हजार रुपयों से भरा बैग चोरी हो गया। यहां पर सुरक्षाकर्मियों को भी काउंटरों की सुरक्षा के लिये लगाया गया था। लेकिन उनकी उपस्थिति में काउंटर से कोई रुपयों से भरा बैग चुरा कर ले गया। मंदिर प्रशासक अब एफआईआर करवाने जा रहे हैं। यहां पर सीसीटीवी नहीं लगे थे, जिनसे वारदात को ट्रेस कर पाते।
महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व सकुशल निपट गया। करीब 8 लाख लोगों ने भगवान महाकाल के दर्शन किये। लेकिन हरसिद्धि की पाल पर लगाये गये अस्थाई लड्डू प्रसाद काउंटर पर किसी अज्ञात ने वारदात को अंजाम दे दिया। हुआ यूं कि दूसरी शिफ्ट में हरसिद्धि की पाल पर लगाये गये 10 अस्थाई काउंटरों में से एक काउंटर पर मंदिर कर्मचारी उमेश जोशी ड्यूटी दे रहे थे। उन्होंने प्रसाद के आये 35 हजार रुपये एक बैग में डालकर सुरक्षित रख लिये थे। इस दौरान किसी ने मौका पाकर उनको रुपयों से भरा बैग उड़ा दिया। ज्ञात रहे कि श्री जोशी दिव्यांग हैं, जिसका फायदा आरोपित ने उठाया।
केएसएस कर्मचारियों पर भी शक
हरसिद्धि की पाल पर 10 अस्थाई लड्उू प्रसाद काउंटर लगाये गये थे। दूसरों काउंटरों पर केएसएस आऊटसोर्स कंपनी के कर्मचारी भी प्रसाद काउंटर संभाल रहे थे। वहां पर मौजूद लोगों को शक है कि कहीं केएसएस कंपनी के कर्मचारियों ने तो कहीं इस वारदात को अंजाम नहीं दिया हो। ज्ञात रहे कि बिना किसी वेरिफिकेशन के इन कर्मचारियों को ड्यूटी पर रखा हुआ है।
बेतहाशा भीड़ का उठाया फायदा
जानकारी में आया है कि हरसिद्धि की पाल पर लगाये गये काउंटरों पर महाशिवरात्रि पर्व के दौरान भारी भीड़ का सैलाब रहा। लोग किसी भी तरह से काउंटरों से प्रसादी खरीदने के लिये बेताब थे। इस दौरान काउंटरकर्मी श्री जोशी की निगाह चुक गई और वारदात को किसी ने अंजाम दे दिया। ज्ञात रहे कि हरसिद्धि मंदिर और चारधाम मंदिर पर लगाये गये लड्उू प्रसाद काउंटरों पर तो भीड़ कम रही लेकिन यहां पर भीड़ का सैलाब टूट पड़ा था।
सुरक्षाकर्मियों का वारदात रोकना कर्तव्य- प्रशासक
मामला वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंच चुका है। इस मामले में मंदिर प्रशासक संदीप सोनी का कहना है कि वारदात की एफआईआर करवाई जायेगी। आवेदन बनाकर तैयार कर लिया गया है। लेकिन घटना स्थल पर मंदिर की केएसएस कंपनी के सुरक्षाकर्मियों की तैनाती वारदातों को रोकने के लिये की गई थी। वह अपना कर्तव्य नहीं निभा सके। ऐसे में गये हुए रुपयों की वसूली कंपनी से की जा सकती है।