सोमवती अमावस्या पर आस्था की डुबकी

रामघाट और सोमतीर्थ कुंड पर कम रही श्रद्धालुओं की भीड़

उज्जैन, अग्निपथ। महाशिवरात्रि पर्व के बाद ही शिप्रा नदी के रामघाट और सोमतीर्थ कुंड पर सोमवती अमावस्या के पुण्य स्नान का लाभ कमाने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। हालांकि जिला प्रशासन बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आगमन का अंदाजा लगा रहा था, लेकिन दोपहर 12 बजे तक कम संख्या में लोगों ने शिप्रा स्नान किया। लोगों ने पितरों के निमित्त शिप्रा के घाटों पर पिंडदान तर्पण का कार्य भी संपादित किया।

घाट के पंडे रमाकांत जोशी (नन्नू गुरु) ने बताया कि फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की सोमवती अमावस्या पर मोक्ष दायिनी शिप्रा नदी में डुबकी लगाकर स्नान करने और उसके बाद दान पुण्य करने का बड़ा महत्व है। अल सुबह से ही भक्तों की भीड़ रामघाट और सोमतीर्थ कुंड पर पहुंचने लगी थी। लेकिन दोपहर तक जितनी इनकी संख्या कम ही रही।

सोमतीर्थ कुंड पर स्नान और जल्पेश्वर महादेव के दर्शन के लिये कम ही संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। सोमवती अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए विशेष दान पुण्य किया जाता है। पंचांग की गणना से देखे तो अमावस्या पर सोमवार का दिन धनिष्ठा नक्षत्र परिधि योग उपरांत शिवयोग, नाग करण तथा कुंभ राशि के चंद्रमा की साक्षी रही। इस प्रकार के योग संयोग में देवी लक्ष्मी की आराधना तथा पितरों के निमित्त तर्पण पिंडदान करने से अनुकूलता प्राप्त होती है।

30 वर्ष बाद चंद्र, शनि और सूर्य का संयोग

पंडित अमर डब्बावाला ने बताया कि शनि का एक राशि में परिवर्तन ढाई साल के बाद होता है पुन: इसी राशि में आने में करीब 30 वर्ष का समय लगता है। इस दृष्टि से शनि का कुंभ राशि में आना और अमावस्या पर सूर्य, चंद्र के साथ यूति बनाना पितृ कर्म के दृष्टिकोण से विशेष माना जाता है।

पुलिस की तैनाती सुखदायक

सोमवती अमावस्या पर्व पर होने वाले स्नान के लिए बड़ी संख्या में रामघाट पहुंचे श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिये पुलिस भी घाटों पर तैनात रही। हालांकि रामघाट पर स्नान की जगह ही श्रद्धालु स्नान करते नजर आये। ऐसा कोई भीड़ का सैलाब घाटों पर चहलकदमी करता नजर नहीं आया। पिछले वर्षों से काफी कम भीड़ का सैलाब शिप्रा के घाटों पर उमड़ा।

 

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