इधर पुलिस मंदिर के बाहर लगे बेरिकेड्स से मंदिर जाने नहीं दे रही थी
उज्जैन, अग्निपथ। महाशिवरात्रि पर्व महाकालेश्वर मंदिर में सकुशल निपट गया। लाखों की आई भीड़ को तालमेल से मंदिर और पुलिस प्रशासन ने आसानी से निपटा दिया। लेकिन सोमवती अमावस्या के दिन भी पुलिस की बेरिकेडिंग नहीं हटी थी। ऐसे में महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की सभी दर्शन व्यवस्थाएं शुरु कर देने के बावजूद श्रद्धालु मंदिर तक नहीं पहुंच पा रहे थे, क्योंकि उनको पुलिस मंदिर के बाहर लगे बेरिकेड्स से अंदर नहीं आने दे रही थी।
सोमवती अमावस्या को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने सोमवार को भी अपनी ड्यूटी उसी तरह से निभाई जैसे महाशिवरात्रि पर्व पर निभाई थी। मंदिर के आसपास बाहर लगे बेरिकेड्स से श्रद्धालुओं को मंदिर के बाहर की रोका जा रहा था। इस तरह की स्थिति दोपहर 1 बजे तक बनी हुई थी।
हालांकि मंदिर प्रशासन ने भोग आरती के बाद 1500 रु. गर्भगृह से दर्शन की रसीद शुरु कर दी थी। वहीं 250 रु. की टिकट भी शुरु कर बेरिकेड्स के अंदर खड़े श्रद्धालुओं के लिये यह सुविधा शुरु कर दी थी। लेकिन बेरिकेड्स से श्रद्धालुओं को अंदर नहीं जाने देने के कारण इनकी संख्या काफी कम रही। किसी तरह से लोग अपनी जुगाड़ से मंदिर के अंदर पहुंच रहे थे। सोमवती अमावस्या पर स्नान को आये श्रद्धालु भी सामान्य श्रद्धालुओं की ही तरह प्रवेश कर भगवान महाकाल के दर्शन कर रहे थे।
मंदिर परिसर रखा बंद
हालांकि मंदिर प्रशासन ने गर्भगृह से प्रवेश तो शुरु करवा दिया था। लेकिन सोमवती अमावस्या स्नान के बाद आ रही श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए मंदिर परिसर को बंद ही रखा। भीड़ नियंत्रण का यह फार्मला मंदिर प्रशासन द्वारा अपनाया जा रहा था, लेकिन इतनी भीड़ भी नहीं थी कि मंदिर परिसर को बंद रखा जाता।
अधिकारी ने चलाई लाइन
सहायक प्रशासनिक अधिकारी आरके तिवारी भोग आरती के बाद नंदीहाल पहुंच गये थे। उन्होंने भोग आरती में जमा श्रद्धालुओं को बाहर निकलवाने का कार्य शुरु कर दिया था। लिहाजा वहां पर उपस्थित लाइन चालकों में भी उनको लाइन चलाते देख गति आई और श्रद्धालुओं की भीड़ को बाहर का रास्ता दिखाया।
सही राय नहीं दे रहे प्रशासक को
महाकालेश्वर मंदिर में सोमवार की शाम को भी श्रद्धालु भगवान के दर्शन से पुलिस की हठधर्मिता के कारण वंचित रहे। हरसिद्धि चौराहा, महाकाल चौराहा, महाकाल लोक सहित मंदिर पहुंच मार्गों के बेरिकेड्स से श्रद्धालुओं को मंदिर के पास नहीं जाने देने के कारण मंदिर खाली खाली रहा।
मंदिर के अनुभवी अधिकारी भी इस समय अपनी सही राय मंदिर प्रशासक संदीप सोनी को नहीं दे पाये। प्रोटोकाल तो धड़ल्लसे आते रहे लेकिन इनको रिसीव करने वाले प्रोटोकाल कर्मी काफी परेशान होते रहे क्योंकि पुलिस उनको बेरिकेड्स से मंदिर के पास जाने नहीं दे रही थी। किसी तरह से हाथ पैर जोडक़र प्रोटोकाल कर्मचारी अपना कर्तव्य निभा रहे थे। लगता है कि मंदिर प्रशासक को संभवत: इस बात की जानकारी नहीं होगी।