उज्जैन, अग्निपथ। भारत उत्कर्ष, नवजागरण और वृहत्तर भारत की सांस्कृतिक चेतना पर एकाग्र विक्रमोत्सव 2023 (विक्रम सम्वत् 2079) अंतर्गत कालिदास अकादमी परिसर में शनिवार सुबह 11 बजे रंग प्रदर्शनी का शुभारंभ माननीय डॉ. मोहन यादव, मंत्री, उच्च शिक्षा, मध्यप्रदेश शासन द्वारा किया गया।
प्रदर्शनी में विक्रमादित्य, भारतीय ऋषि वैज्ञानिक, वृहत्तर भारत का सांस्कृति वैभव तथा विक्रमकालीन मुद्रा एवं मुद्रांक को प्रदर्शित किया गया है। प्रदर्शनी को अवलोकन करने के बाद उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि ये प्रदर्शनी दुनिया में पहली बार प्रदर्शित की गई है। यह भारत की सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक पहचान का गौरव बढ़ाती है। इसी के साथ ये भी बताती है कि हमारे महापुरुषों की वैज्ञानिक दृष्टि कितनी समृद्ध थी। विज्ञान जिनके आज प्रमाण देता है उन्हें हमारे ऋषियों द्वारा हजारों साल पहले ही खोज लिया गया था।
शुभारंभ कार्यक्रम में पारस जैन, पूर्व मंत्री व विधायक, मुकेश टटवाल, महापौर उज्जैन, भाजपा जिला अध्यक्ष विवेक जोशी, महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के पूर्व निदेशक भगवतीलाल राजपुरोहित, शोधपीठ के वर्तमान निदेशक श्रीराम तिवारी सहित कई वरिष्ठ नागरिक उपस्थित थे।
वर्ष प्रतिपदा एवं उज्जयिनी गौरव दिवस (22 मार्च 2023 तक) तक चलने वाली रंग प्रदर्शनी में सम्राट विक्रमादित्य के जीवन पर केन्द्रित प्रदर्शनी विक्रमादित्य में 50 से अधिक चित्रों को संकलित किया गया है। जिसमें विक्रमादित्य को शक विजेता, सम्वत् प्रवर्तक, वीर, न्याय प्रिय, प्रजावत्सल दिखाया गया है। इस श्रृंखला में एक अन्य प्रदर्शनी भारतीय ऋषि वैज्ञानिकों पर आधारित है। भारतीय ऋषि वैज्ञानिक परंपरा पर कोई 79 चित्रों को देशभर के चित्रकारों ने तैयार किया है। यह प्रदर्शनी भारतीय ऋषियों द्वारा दिये गये वैज्ञानिक योगदान को बताती है और यह स्पष्ट करती है कि भारतीय ऋषि वैज्ञानिक परंपरा कितनी समृद्ध थी।
भारत के सांस्कृतिक वैभव पर केन्द्रित प्रदर्शनी को भोपाल के श्री प्रवीण कुमार पटोद द्वारा तैयार किया गया है। पटोद ने बताया कि यहाँ प्रदर्शित 113 छायाचित्रों की प्रदर्शनी विदेशों में भारतीय संस्कृति की विरासत को दर्शाती हैं। यहाँ 20 से अधिक देशों के प्राचीन मंदिरों के छायाचित्रों को प्रदर्शित किया गया है, जो आम जन को प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता से रूबरू कराएगी। मैं इसके लिए महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ का आभारी हूँ। पटोद कहते है वे पिछले 5 वर्षों से विदेशों में भारतीय संस्कृति के प्रतीक प्राचीन मंदिरों के छायांकन एवं उनसे संबंधित जानकारियों के संकलन का कार्य कर रहे है। भारतीय संस्कृति की जानकारी आमजनों तक पहुँचे यह प्रदर्शनी उसी का प्रयास है।
इन सबके बीच एक प्रदर्शनी विक्रमकालीन मुद्रा एवं मुद्रांक की भी है जो उस काल की मुद्राओं तथा मुद्रांक पर आधारित है। अश्विनी शोध संस्थान, महिदपुर के इस संग्रह में ईसा पूर्व प्रथम शताब्दी से लगाकर वर्तमान की मुद्राओं का एक बेहद दर्शनीय संग्रह मौजूद है। कालिदास अकादमी परिसर में प्रदर्शित यह प्रदर्शनी रोजना सुबह 11 से रात 8 बजे तक आम लोगों के लिए अवलोकनार्थ खुली रहेगी।