जावरा, अग्निपथ। मुंडलाराम गाँव मे किसानों के खेत पर चोपहिया वाहन से पाँच से सात लोग आए और ट्यूबवेलों की मोटरों को चेक किया। जिसके बाद कुछ किसानों के पंचनामे बनाये और चार से पाँच लोगो से डरा धमका कर पैसे लेकर चले गए।
गांव के किसानों ने बताया कि कुछ दिन पहले दो वाहनों से अलग अलग स्थानों पर किसानों के खेतों पर कुछ लोग आए और ट्यूबवेल में लगी मोटरों को चेक किया। किसानों को बोला कि जो ट्यूबवेलों की मोटर चलाई जा रही है वो अवैध रूप से चल रही है जिसका केस बनेगा। ऐसा कहकर किसानों को डराया धमकाया और सबको दस – दस हज़ार रुपये लेकर ढोढर स्थिति एक होटल में आने को बोला। रुपए नहीं देने पर बिज़ली चोरी के आरोप में तीस से चालीस हजार रुपए जुर्माने की धमकी भी दी।
किसानों ने होटल जाकर पैसे तो नहीं दिए लेकिन विजलेंस टीम के नाम से आए लोगों ने विद्युत विभाग के हेल्पर विनोद बैरागी नामक कर्मचारी को भेजा। जिसने हमसे यह कहा कि साहब ने पैसे मंगवाया तो हमने उनको पैसे दे दिये लेकिऩ बदले में उनके द्वारा कोई पैसे की रसीद नही दी गई। किसान महेंद्र सिंह ने बताया कि बिजली कंपनी की विजलेंस टीम का नाम लेकर कुछ लोगों ने रुपयों की मांग की। मैंने रिछाचांदा में जाके पैसे दिए, ऐसे चार से पाँच किसान है जिन से पैसे लिए।
हेल्पर ने माना रुपये लेकर आया
जब दैनिक अग्निपथ ने विनोद बैरागी से बात की तो उसके माना कि हां मैं रूपये लेकर आया था। मुझे यह पता नहीं था कि रूपये किस बात के हैं। मुझे एक अन्य हेल्पर होकम सिंह ने भेजा था कि वहां से पैसे लेकर आओ जो किया होकम सिंह ने किया। होकम सिंह का इस ामले में कहना है कि उसने कोई रूपये नहीं लिए।
23 मार्च को विजलेंस की टीम आई थी। उन्होंने भुट्टा खेड़ी के तीन किसानों के केस बनाए हैं। जो किसान पैसे लेने का आरोप लगा रहे हैं, वो गाँव मेरे क्षेत्र में नहीं आता वो ढोढर में आता है।
– मोहम्मद सा. लाइनमैन, ग्राम मुंडलाराम
विजिलेंस की टीम अगर आती तो हमें वो सूचना नहीं करती। किसानों से पैसे लिए इसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है।
– दिनेश कुमार, जूनियर इंजीनियर, विद्युत वितरण कंपनी, कालूखेड़ा
कुछ दिन पहले विजलेंस की टीम आने की जानकारी लगी थी। विजलेंस की टीम ऐसे पैसे लेके नहीं जा सकती है, केस बनाकर चली जाती है। बिल उनके पास वहां जमा नहीं होते हैं। यहां ऑफि़स में जमा होते हैं। रही रूपये लेने की बात तो मैंने विनोद बैरागी और होकम सिंह से बात की है। उन्होंने बोला कि हम गए भी नहीं हमे नहीं पता ।
-राजकुमार मौर्य, जूनियर इंजीनियर, विद्युत वितरण कंपनी, ढोढर