निगम की कपिला गौ-शाला महाकाल मंदिर को सौंपने की तैयारी

महापौर ने कलेक्टर से मुलाकात कर रखा प्रस्ताव, हर साल हो रहे 50 लाख रूपए खर्च

उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम कपिला गौ-शाला को अब महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति को सौंपने की तैयारी में है। महापौर मुकेश टटवाल का मानना है कि गौ-शाला का प्रबंधन यदि महाकालेश्वर मंदिर समिति अपने हाथ में लेती है तो इससे गौ-शाला के साथ लोगों की धार्मिक भावनाएं जुड़ जाएगी। इससे गौ-शाला का प्रबंधन आसान हो जाएगा।

कपिला गौ-शाला में फिलहाल लगभग 1 हजार गौ-वंश है। इसके प्रबंधन पर नगर निगम को सालाना करीब 50 लाख रूपए खर्च करने पड़ते है। राजस्व विभाग से नगर निगम को गौ-शाला के लिए लगभग 24 बीघा जमीन मिली थी। इसके एक बड़े हिस्से में गौ-शाला बनी है जबकि शेष जमीन रिक्त ही पड़ी है। रिक्त जमीन पर गौ-वंश के लिए चारा उत्पादन की योजना थी लेकिन यह भी कभी कामयाब नहीं हो सकी। नगर निगम के अधिकारी-कर्मचारी कपिला गौ-शाला को कभी जनभावना के साथ नहीं जोड़ सके। ऐसे में यह गौ-शाला एक सेवा प्रकल्प नहीं बनकर केवल आवारा मवेशी की समस्या का निदान केंद्र बनकर रह गई है।

महापौर मुकेश टटवाल ने सोमवार को महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष व कलेक्टर कुमार पुरूषोत्तम से मुलाकात की और उन्हें गौ-शाला प्रबंधन मंदिर प्रबंध समिति को सौंपने की पेशकश की। कलेक्टर ने इस प्रस्ताव पर प्रबंध समिति की बैठक में विचार-विमर्श का आश्वासन दिया है। इससे पहले भी नगर निगम कपिला गौ-शाला को अन्य सामाजिक-धार्मिक संगठनों को सौंपने की योजना पर काम कर चुकी है लेकिन कोई भी संस्था इसके लिए आगे नहीं आई।

महापौर ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि कपिला गौ-शाला के प्रबंधन को महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति अपने हाथ में लेती है तो नगर निगम भी उज्जैन व महाकालेश्वर मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं के विस्तार पर ध्यान केंद्रित कर सकेगी।

सवारी मार्ग के चौड़ीकरण के लिए प्राधिकरण को प्रस्ताव: सोमवार को ही महापौर ने संभागायुक्त संदीप यादव और उज्जैन विकास प्राधिकरण सीईओ संदीप सोनी से भी मुलाकात की। महापौर ने संभागायुक्त को पत्र सौंपकर प्रस्ताव दिया है कि वे विकास प्राधिकरण के गैर योजना मद से महाकालेश्वर की सवारी के मार्ग का चौड़ीकरण व सौंदर्यीकरण का कार्य करवाए।

विकास प्राधिकरण के पास अपने बजट की लगभग 10 प्रतिशत राशि ऐसी होती है जो वे स्वयं की योजनाओं से अलग शहर में कहीं खर्च कर सकते है। महापौर की मंशा है कि महाकालेश्वर सवारी मार्ग को दिल्ली के राजपथ की तरह विकसित किया जाए।

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