महाकाल में रंगपंचमी पर 5 क्विंटल टेसू के फूलों से रंगों की होगी बौछार

भस्मारती में महाकाल को चढऩे के बाद शुरु होगी प्राकृतिक रंगों से होली

उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में रविवार सुबह भस्म आरती के दौरान भगवान महाकाल के साथ पण्डे पुजारी और श्रद्धालु रंग पंचमी पर हर्बल रंगों से होली खेलेंगे। इसके लिए महाकाल मंदिर में टेसू के फूलों से शुद्ध हर्बल रंग तैयार किया गया है। 5 क्विंटल टेसू के फूल आगर, उज्जैन और आसपास के क्षेत्रों से मंगाए गए हंैं। इनको उबालकर कर शुद्ध रंग बनाया जाकर भस्म आरती के दौरान महाकाल को अर्पित किया जाएगा। टेसू के फूलों से बने सुंगधित रंग से रंग पंचमी मनाने के लिए यह परंपरा अनादिकाल से चली आ रही है।

महाकाल मंदिर में रंगपंचमी पर तडक़े होने वाली भस्मारती में राजाधिराज भगवान महाकाल शुद्ध रंग से पंचमी का त्यौहार अपने भक्तों के साथ मनाएंगे। रंग पंचमी पर महाकाल को हर्बल शुद्ध रंग चढ़ाने की परम्परा वर्षों पुरानी है। केमिकल युक्त कलर से शिवलिंग से होने वाले क्षरण को बचाया जा सकेगा।

इसके लिए शनिवार से महाकाल मंदिर परिसर में रंग को बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी। पुजारी दिलीप गुरु ने बताया कि इस बार 5 क्विंटल टेसू के फूलों को अलग अलग क्षेत्रों से मंगाया गया है। सभी फूलों को साफ करके तीन बड़े कढ़ाव में पानी के साथ उबाला गया है। करीब तीन घंटे उबलने के बाद जैसे ही रंग आना शुरू हुआ उसको छानकर कर उसे बर्फ डालकर ठंडा किया गया। ठंडा होने के बाद शुद्ध रंग तैयार हो गया है। यही रंग रविवार सुबह रंगपंचमी पर भस्मारती के दौरान अल सुबह सतत प्रवाहित किया जायेगा।

5 क्विंटल फूलों से बना हर्बल शुद्ध रंग

 

12 वर्षो से महाकाल के लिए रंग बना रहे राजेश जोशी ने बताया कि बर्तनों को साफ़ करने के बाद 5 किवंटल फूलों के लिए करीब 2000 हजार लीटर पानी लगता है। तीन घंटे तक सतत उबालने के बाद केसरिया कलर आने के बाद उसे ठंडा किया गया। इस रंग को भस्म आरती के दौरान महाकाल को अर्पित किया जाएगा। जिसके बाद महाकाल मंदिर के पण्डे पुजारी और श्रद्धालु महाकाल के साथ रंग पंचमी मनाएंगे।

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