जेल अधीक्षक आवेदन मंजूर करती तो तीन माह पहले खुल जाता राज
उज्जैन,अग्निपथ। विवादित कामों के लिए कुख्यात केंद्रीय जेल भैरवगढ़ में हुआ जीपीएफ घोटाले तीन माह पहले उजागर हो सकता था और गबन राशि भी 12 करोड़ से कम हो सकती था। लेकिन एक प्रहरी को जीपीएफ निकालने का प्रयास करते देख आरोपी ने तीन लाख रुपए उधार देकर खुलासे को रोक दिया था। जिंदगी भर की पूंजी लूटाने पर सोमवार को जेलकर्मी काफी चिंतित नजर आए। इधर पुलिस मामले में छानबीन के लिए बैंक और ट्रेजरी पहुंची तो मुख्यालय से भी जांच के लिए टीम जेल पहुंच गई।
केंद्रीय जेल भैरवगढ़ में कर्मचारियों के जीपीएफ फर्जी तरीके से निकालने का खेल 2021 से चल रहा है। करीब 12 करोड़ का घोटाला होने के बाद 10 मार्च को इसकी जानकारी कलेक्टर को लगी। मामले में पुलिस और जेल विभाग ने जांच भी शुरू कर दी, लेकिन असल किस्सा सोमवार को सामने आया। दरअसल गबन का पता चलते ही सभी कर्मचारी अपनी राशि की चिंता करते हुए दोपहर में जेल गेट पर जमा हो गए।
आरोपी ने कहा था करोड़ों रुपए की लाटरी खुली
प्रहरी राम सुमिरन मिश्रा ने बताया कि बेटे की फरवरी माह में शादी थी। विवाह के लिए जेल अधीक्षक उषाराज को तीन माह पहले जीपीएफ से 5 लाख रुपए निकालने का आवेदन देकर चक्कर लगा रहा था। उसे रुपए निकालने के लिए प्रयास करते देख रिपूदमन ने राशि निकालने का मना कर तीन लाख रुपए उधार दे दिए थे। पता चला है कि रिपूदमन ने शहर में पांच प्लाट व कार खरीद ली। पूछने पर सभी को बताया कि उसक बड़ी लाटरी निकली है। इस बात की पुष्टी आज जेल अधीक्षक उषाराज ने भी की है।
ऐसे खुला मामला
कलेक्टर कुमार पुरषोत्तम को 10 मार्च को तीन जेल कर्मियों के जीपीएफ खाते से लाखों रुपए निकालने का पता चला था। उन्होंने जेल से दस्तावेज मंगवाकर जांच शुरू की तो जेल में लेखा-जोखा करने वाला प्रहारी रिपूदमन परिवार सहित फरार हो गया। इधर कलेक्टर को पता चला कि करीब ढाई साल में 55 कर्मचारियों के खाते से 12 करोड़ रुपए से अधिक निकाले गए है। इस पर उन्होंने जेल डीजी व शासन का पत्र लिखा और उनके आदेश पर जिला अतिरिक्त कोषालय अधिकारी सुरेंद्र भामर से भैरवगढ़ थाने म केस दर्ज करा दिया।
आरोपी के खाता सीज, ट्रेजरी में खोज
बताया जाता रिपूदमन के फरार होने पर पुलिस ने उसके घर नोटिस चस्पा कर दिया। पता चला उसका खाता बैंक ऑफ इंदिया की भरतपूरी स्थित शाखा में है। इस पर दोपहर में भैरवगढ़़ के एसआई सत्यनारायण प्रजापति बैंक पहुंचे और उसका खाता सिज करवाया। तत्पश्चात वह जांच के लिए कोठी स्थित जिला कोषालय पहुंचे। इधर जेल मुख्यालय से भी जांच के लिए टीम जेल पहुंचने की सूचना है।
जेल अधीक्षक जिम्मेदार
घटना को लेकर कलेक्टर कुमार ने कहा कि जेल अधीक्षक डीडीओ होती है। उनकी हस्ताक्षर के बिना कर्मचारियों के खाते से राशि नहीं निकाली जा सकती। गबन में उनकी आईडी और पासवर्ड का इस्तेमाल हुआ है,जो उन्हें खुद इस्तेमाल करने के लिए दिया गया था। इधर जेल अधीक्षक उषाराज ने कहा कि गबन में 2018 से चल रहा है। उन्होंने आईडी पासवर्ड हैक होने की रिपोर्ट थाने में की है।