खगोलीय घटना की स्थिति वर्ष में दो बार 21 मार्च और 23 सितंबर को होती है
उज्जैन, अग्निपथ। खगोलीय घटना में 21 मार्च मंगलवार को सूर्य भूमध्य रेखा पर होने से दिन और रात बराबर रहेंगे। दिन 12 घंटे का तो रात भी 12 घंटे की रहेगी। 21 मार्च के बाद से ही दिन बड़े होने लगते है। वहीं रातें छोटी होने लगती है। यह परिवर्तन लगातार जारी रहेगा। इसे वसन्त सम्पात भी कहा जाता है।
शासकीय जीवाजी वेद्यशाला के अधीक्षक डॉ. राजेंद्र प्रकाश गुप्त ने बताया कि वर्ष में दो बार दिन व रात के बराबर होने की स्थिति बनती है। सूर्य के उत्तरायण के मध्य व सूर्य के दक्षिणायन के मध्य आने से दिन व रात 12-12 घंटे के होते हैं। वास्तव में हमारी पृथ्वी साढ़े तेईस अंश झुकी हुई स्थिति में सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती है। इससे कर्क रेखा, भूमध्य रेखा और मकर रेखा के बीच सूर्य की गति दृष्टि गोचर होती है। इसी स्थिति में 21 मार्च और 23 सितंबर को सूर्य भूमध्य रेखा पर लंबवत रहता है।
वहीं 23 सितंबर को सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में प्रवेश कर जाएगा। पृथ्वी अपने उत्तरायण पक्ष को 187 दिन में पूरा करती है। 21 मार्च से 23 सितंबर तक धीमी लेकिन 23 सितंबर से 21 मार्च तक गति तीव्र हो जाती है। इससे यह पक्ष 178 दिन में ही पूरा हो जाता है। पृथ्वी 3 जनवरी को सूर्य के सबसे ज्यादा समीप व 4 जुलाई को ज्यादा दूर होती है।
वेधशाला में प्रत्यक्ष देखी जाएगी खगोलीय घटना
अधीक्षक डॉ. गुप्त ने बताया कि शा.जीवाजी वेधशाला में 21 मार्च की घटना को शंकु यन्त्र तथा नाड़ीवलय यन्त्र के माध्यम से प्रत्यक्षरूप से देखा जाएगा। 21 मार्च को शंकु की छाया पूरे दिन सीधी रेखा (विषुवत रेखा) पर गमन करती हुई दिखाई देगी। 21 मार्च के पूर्व नाड़ीवलय यन्त्र के दक्षिणी गोल भाग (24 सितम्बर से 20 मार्च तक) पर धूप थी। 21 मार्च को उत्तरी तथा दक्षिणी किसी गोल भाग पर धूप नहीं होगी तथा 22 मार्च से अगले छ: माह (22 सितम्बर तक) नाड़ी वलय यन्त्र के उत्तरी गोल पर धूप रहेगी। वेधशाला में 21 मार्च को इस खगोलीय घटना को दिखाया जाएगा।