उज्जैन, (हरिओम राय) अग्निपथ। आज बुधवार को गुड़ी पड़वा है और गुड़ी पड़वा के मौके पर नीम की पत्तियों का सेवन प्राचीन परंपरा का हिस्सा है। उसी परंपरा के तहत आज गुड़ी पड़वा से भगवान श्री महाकालेश्वर को भी सुबह-सुबह नीम की पत्तियों के रस का भोग लगाया जायेगा। नीम की पत्तियों के रस का भोग नवरात्रि के पूरे नौ दिन तक अर्पित किया जायेगा।
श्री महाकालेश्वर में भस्मारती के बाद सुबह 7 बजे होने वाली आरती में नीम की पत्तियों के रस का भोग लगाया जायेगा। इसके लिए मंगलवार को पुजारियों ने नीम की कोमल पत्तियों को एकत्रित किया, जिसका बुधवार सुबह रस निकाला जायेगा। रोज नई पत्तियां एकत्रित कर उनका ताजा रस तैयार किया जायेगा और नवरात्रि के नौ दिनों भगवान श्री महाकालेश्वर को अर्पित किया जायेगा।
मान्यता के अनुसार पृथ्वी के नाभि केंद्र पर स्थित काल के अधिपति भगवान महाकाल के आंगन से नवसंवत्सर की शुरुआत होती है। इस दिन से हिन्दू वर्ष का आरंभ होता है, इसलिए नए पंचांग का पूजन भी किया जाता है। मंदिर के शिखर पर नया ध्वज चढ़ाया जाता है। चैत्र मास ऋतु परिवर्तन का महीना है। इस माह में ग्रीष्म ऋतु की शुरुआत होती है। इसके प्रभाव से वात,कफ,पित्त की वृद्धि होती है। इससे अनेक रोग जन्म लेते हैं। वात, कफ, पित्त के निदान के लिए नीम के सेवन का महत्व है।
गर्मी में शीतलता देता है नीम
महाकाल मंदिर के पुजारी पं. प्रदीप गुरु ने बताया कि नीम की कोमल पत्तियां चैत्र मास के शुरुआती दिनों में जो भी सेवन करता है उसे तेज गर्मियों के दौरान शीतलता प्राप्त होती है। नीम का सेवन तमाम बीमारियों का भी नाशक है। इस कारण भगवान श्री महाकाल को नीम की पत्तियों का रस अर्पित किया जाता है।
आयुर्वेद में पित्तनाशक है नीम
शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के सहायक प्राध्यापक डॉ. प्रकाश जोशी के मुताबिक नीम पित्त नाशक है। होली के बाद चैत्र माह के शुरुआती पंद्रह दिन अगर नीम, कालीमिर्च व मिश्री का सेवन किया जाये तो यह ग्रीष्म ऋतु में होने वाली समस्त पित्त संबंधी बीमारियों का नाश करता है और निरोग रखता है।