गौरव दिवस : विक्रम टीले पर किया सुंदरकाण्ड, नीम की पत्ती खिलाकर दी शुभकामनाएं
उज्जैन, अग्निपथ। नगर स्थापना का गौरव दिवस शहरवासियों ने विक्रम संवत की स्थापना करने वाले राजा विक्रमादित्य के समक्ष मनाया। नए विक्रम संवत 2080 के स्वागत में राजा विक्रमादित्य के टीले पर सुदंरकांड का आयोजन कर एकदूसरे को शुभकामनाएं दीं।
नगर निगम द्वारा बुधवार सुबह आयोजित इस कार्यक्रम में महापौर मुकेश टटवाल, निगम आयुक्त रोशन कुमार सिंह, भाजपा नगर अध्यक्ष विवेक जोशी, जलकार्य समिति प्रभारी शिवेंद्र तिवारी सहित समस्त पार्षदगण और नगर निगम कर्मचारी भी मौजूद थे। आमजन की सहभागिता से कार्यक्रम में चार चांद लग गये। महाकाल मंदिर के पीछे स्थित विक्रम टीले पर सुबह सूर्य को अघ्र्य देकर नागरिकों को मंगल तिलक लगाकर नववर्ष की शुभकामनाएं दी गई। परंपरागत रूप से नीम की पत्ती खिलाई गई। अलग-अलग भजन मण्डलियों ने सुन्दरकाण्ड का पाठ किया। प्रारंभ में विक्रमादित्य की प्रतिमा का पूजन-अर्चन करते हुए परम्परा अनुसार गुड़ी की पूजा की गई।
रामघाट पर ध्वज पूजन, शंखनाद के साथ नववर्ष का स्वागत
नव संवत 2080 की शुरुआत बुधवार को शिप्रा नदी किनारे रामघाट पर ध्वजा पूजन और शंख बजाकर की गई। सुबह सूर्य को अघ्र्य देकर उगते सूरज का पूजन कर विक्रम संवत के नए वर्ष की शुरुआत की गई।
हिन्दू मान्यता के अनुसार गुड़ी पड़वा से नव वर्ष का आगाज होता हैहर साल चैत्र प्रतिप्रदा तिथि से नया विक्रम संवत शुरू होता है। बुधवार से हिंदू कैलेंडर का नया वर्ष विक्रम संवत 2080 की शुरुआत पर चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि से 9 दिनों तक देवी दुर्गा की उपासना का महापर्व चैत्र की नवरात्री भी आरंभ हो जाएगा। प्रति वर्ष गुड़ी पड़वा पर नव वर्ष मनाने की परम्परा है।अल सुबह 6.30 मिनट पर शिप्रा नदी के रामघाट पर नव वर्ष की शुरुआत पर बंगाली महिलाओं ने शंख बजाकर की। इस दौरान शहर के गणमान्य नागरिक पण्डे पुजारियों ने कलश का पूजन कर सूर्य को अघ्र्य दिया।
क्यों ख़ास है विक्रम संवत
विक्रम संवत की शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने की थी ख़ास तौर पर सनातन धर्म को मानने वालों के लिए। ज्योतिष की गणना के अनुसार देश, राज्य के समस्त विषयों की भविष्यवाणी, लोक व्यवहार, विवाह, अन्य संस्कारों और धार्मिक अनुष्ठानों की तिथियां निर्धारित की जाती हैं। प्रति वर्ष उज्जैन के शिप्रा नदी किनारे रामघाट पर होता है। हिंदू कैलेंडर का नया वर्ष गुड़ी पड़वा को माना जाता है। इसी दिन से विक्रम संवत भी बदल जाता है। विक्रम संवत अंग्रेजी केलण्डर से 57 वर्ष आगे है। हर साल चैत्र प्रतिप्रदा तिथि से नया विक्रम संवत शुरू होता है।