इंदौर, अग्निपथ। बुधवार को गायक पद्मश्री कैलाश खेर इंदौर आए। मीडिया से रूबरू होने के साथ ही उन्होंने अपने महाकाल लोक के एंथम सांग का टीजर इंदौर में रिलीज किया। अपने ही मोबाइल से उन्होंने इंस्टाग्राम और ट्विटर पर इसे शेयर कर इसे रिलीज किया। मीडिया से चर्चा के दौरान उन्होंने अपने पसंदीदा गाने भी सुनाए।
उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति के आगे बढऩे के लिए अब साधकों को तैयार किए जाने की भी जरूरत है। संगीत के माध्यम से साधक तैयार करने के लिए मैं कोशिश कर रहा हूं और सीनियर सिटिजन से लेकर साधु-संत तक संगीत सीखने में रुचि ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत की आध्यात्मिक धरोहर को संगीत के माध्यम से पूरी दुनिया के सामने लाने के लिए ईश्वर ने उन्हें चुना है। उनके भारतीय संस्कृति से जुड़े संगीत को पहले स्थापित लोगों ने नकारा, लेकिन आज पूरी दुनिया उस पर झूम रही है। यह सिर्फ भगवान भोलेनाथ की कृपा, साधु-संतों की संगति से मिले आशीर्वाद और मिट्टी की सुगंध का असर है।
पद्मश्री कैलाश खेर ने उज्जैन के महाकाल लोक के एंथम सांग के रूप में उनके द्वारा गीत जय श्री महाकाल के पूर्ण संस्करण का टीजर पहली बार सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रिलीज किया। दरअसल, महाकाल लोक के लोकार्पण की बेला में पीएम नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में खेर ने इस गीत को अपने बैंड के साथ अकेले प्रस्तुत किया था। बाद में इस गीत में और पंक्तियां भी जोड़ी गई तथा देश के पांच बेहतर लोकप्रिय गायकों के स्वर में इसे नए सिरे से रिकॉर्ड किया गया।
कैलाश खेर ने कहा कि मिले सुर मेरा तुम्हारा जैसे समवेत गान की तरह जय श्री महाकाल में पद्मश्री शंकर महादेवन, पद्मश्री सोनू निगम, पद्मश्री कैलाश खेर, शान एवं अरिजीत सिंह की आवाजें है। कैलाश खेर ने गीतों में स्लैग भाषा के उपयोग के प्रश्न पर कहा कि अच्छाई के साथ बुराई आ ही जाती है, जिसे छोडक़र आगे बढ़ जाना उचित है। कैलाश खेर एकेडमी ऑफ लर्निंग आर्ट के साथ उन्होंने धाम जोड़ा है, क्योंकि वे प्रयास कर रहे हैं इसमें शुद्ध रूप से भारतीय धर्म और लोक की सुगंध पूरी दुनिया में फैलाने वाले साधक तैयार किए जाएं।
साधक को लेकर पूछे एक सवाल पर उन्होंने कहा कि – साधक एक सर्वागीण शब्द है। हमारी संस्कृति पौराणिक है। सबसे बड़ी बात यह हुई है कि भारत सब देशों के लिए एक गुरु का काम करना शुरू कर चुका है। ये मानवता है, ये हमारी पौराणिक सभ्यता का प्रतीक है।
कैलाश खेर ने पांच बरस की मीराबाई लाडली…, बगडबम बमलहरी…आदि गीतों की छोटी-छोटी प्रस्तुति भी दी। उन्होंने पुणे की जेल में उनके द्वारा दी गई मोटिवेशनल स्पीच का उदाहरण देते हुए बताया कि आज जवानी पर इतराने वाले कल पछताएगा, चढ़ता सूरज धीरे-धीरे ढलता है ढल जाएगा।
जब हम ये बता रहे थे, वहां एक कैदी था जो सुधर गया था उसकी आंखे भर गई थी। जब गायकी में ऐसे विचार होते है गाने में। दो लाइन में पूरा तथ्य और सत्य बता दिया। ऐसे गाने सुनकर पाषाण हृदय भी द्रवित हो जाए, तो संगीत में बहुत प्रभाव होता है। वे बोले ईंट-पत्थरों के तो मंदिर हम बना ही रहे हैं, वह तो हमारी परंपरा है ही, परंतु साधक भी बनाईए, ताकि मंदिर सुने न रहे। उन्होंने बच्चों में अच्छे संस्कार देने को लेकर भी अपनी बात कहीं।
इंदौर की भी तारीफ की
मीडिया से चर्चा के दौरान कैलाश खेर ने इंदौर की स्वच्छता की तारीफ भी की। मजाकिया अंदाज में उन्होंने बोतल से पानी पीने के बाद उन्होंने कहा कि बोतल हटा दे, मीडिया देख रहा है। हम स्वच्छता के ऐम्बेसेटर है तो हम प्लास्टिक को मना करते है। हम इंदौर में है तो इंदौर तो स्वच्छता में नंबर वन पर है। वहां तो हमें ओर प्लास्टिक हटाना है।