प्रदेश सरकार के मुखिया, भाजपा के लिये प्रदेश में तारणहार, नैया खैवनहार के वर्ष 2021 में प्रथम उज्जैयिनी आगमन पर स्वागत वंदन, अभिवंदन। उपचुनावों में मिली ऐतिहासिक विजय से पुन: सत्ता सिंहासन पर आरुढ़ होने का अवसर भोलेनाथ की कृपा से आपको मिला है। पूरे प्रदेश के नागरिकों की तरह ही उज्जैन के नागरिक भी आपकी ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं। उज्जैन इस समय विकास की नई इबारत लिखने को आतुर है। उज्जैन के लिये प्राण वायु महाकालेश्वर मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण सौपान की सीढिय़ां चढ़ रहा है। उज्जैन की सुंदरता में चार चाँद लगाने का जो प्रयास हो रहा है वह काबिले तारीफ है।
हम उज्जैनवासी आपसे उम्मीद करते हैं कि जो भी कतिपय लोग अपने निजी स्वार्थों के कारण इस कार्य में बाधा उत्पन्न करने का प्रयास कर रहे हैं ऐसी ताकतों को आप हतोत्साहित करेंगे और प्रशासनिक अधिकारियों को आने वाले 50 वर्षों को देखते हुए मास्टर प्लान अनुसार निर्माण किये जाने हेतु हरी झंडी देंगे। इस शहर को वर्षों से दरकार है कि कुछ मार्ग आवश्यक रूप से चौड़े किये जाने चाहिये जिससे प्रभावित होने वाले मार्ग के व्यापारियों का व्यवसाय बढ़ सके।
देवासगेट से महाकालेश्वर मंदिर मार्ग जब वर्ष 2003-2004 में चौड़ा हुआ था तब भी विरोध के स्वर मुखर हुए थे परंतु आज चौड़ीकरण के बाद उसी मार्ग के व्यवसायी, निवासी प्रशासन को दुआएं देते नहीं थकते हैं। निगम द्वारा प्रस्तावित कोयला फाटक से बियाबानी होते हुए कंठाल, सतीगेट से गोपाल मंदिर मार्ग वर्षों से अपने उद्दार की बाट जोह रहा है शायद नियति में इस मार्ग का नवजीवन आपके कार्यकाल में ही तय था इसी प्रकार बुधवारिया से केडी गेट चौराहे तक मार्ग चौड़ीकरण अति आवश्यक है।
माननीय मुख्यमंत्री जी हम उज्जैनवासियों को इस बात को स्वीकार करना ही होगा कि जहाँ-जहाँ धार्मिक नगरी है वहाँ-वहाँ औद्योगिक विकास की संभावनाएं न्यूनतम है (अपवाद छोडक़र), धार्मिक नगरियों के पास जो मौजूद संसाधन है उन्हें ही विकसित करके शहर के व्यापार व्यवसाय को बढ़ाया जा सकता है। हमें यह प्रयास करना होगा कि महाकालेश्वर की प्रसिद्धी देश-विदेश में फैले करोड़ों-करोड़ श्रद्धालुओं तक पहुँचे।
उज्जैन आने वाले प्रत्येक धार्मिक पर्यटक को सारी सुख-सुविधाएँ उसके बजट अनुरुप मिल सके। धार्मिक यात्री सुविधाएँ उपलब्ध होने के बाद यहाँ रूकेगा तो खरीदी भी करेगा और उसके ठहरने से होटल, रेस्टोरेंट, परिवहन में लगे लोगों को रोजगार मुहैया होगा। इसी कारण मंदिर परिसर के विस्तार की आवश्यकता है साथ ही व्यापारिक मार्गों के चौड़ीकरण होने से व्यापार-व्यवसाय में प्रगति होना स्वाभाविक है। माननीय मुख्यमंत्री जी सिंहस्थ की तैयारियों के लिये भी अभी से व्यवस्थित रूप से योजनाएँ बनाई जानी चाहिये, कुछ कामों को प्राथमिकता में लेना होगा ताकि वह निर्धारित समयावधि में पूर्ण हो सके।
पुराने शहर को नये शहर से जोडऩे के लिये एक अतिरिक्त सेतु अति आवश्यक है जिसकी फाईल लाल फीताशाही का शिकार होकर कैद है। जंतर-मंतर से चारधाम मंदिर मार्ग पर ओव्हर ब्रिज समय की मांग है, इसी प्रकार लालपुर मार्ग स्थित आऊटर रिंग रोड पर और चिंतामण-जवासिया में भी ओव्हर ब्रिज होना चाहिये ताकि उज्जैन के विस्तार को आयाम मिल सके। हरिफाटक ब्रिज के पास शासकीय हो चुके मन्नत गार्डन के पीछे बह रही क्षिप्रा नदी पर घाट बनाये जाने चाहिये ताकि यात्री हरिफाटक ब्रिज के नीचे अपने वाहन पार्क करके क्षिप्रा स्नान करके त्रिवेणी संग्रहालय होते मंदिर पहुँच सके।
नीलगंगा कब्रिस्तान के सामने पट्टाभिराम मंदिर की भूमि महाकाल मंदिर को सौंपी जानी चाहिये ताकि मंदिर समिति वहाँ सर्वसुविधायुक्त धर्मशाला का निर्माण कर सके जिससे रेल मार्ग से आने वाली श्रद्धालु नजदीक ही ठहर सके और मंदिर पहुँच सके। देवासगेट बस स्टैण्ड नजदीक होने के कारण सडक़ मार्ग से आने वाले यात्रियों को भी लाभ मिलेगा और नीलगंगा जैसा पिछड़ा क्षेत्र विकसित हो सकेगा।
यदि इंदौर-सूरत-अहमदाबाद की तर्ज पर खाऊँ (खान-पान का) मार्केट भी प्रारंभ हो सके तो बेहतर होगा। इसके लिये रात्रि 9 बजे के बाद गोपाल मंदिर, शहीद पार्क, टॉवर पर ठेले लगवाये जा सकते हैं जिससे सैकड़ों लोगों को प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रोजगार भी मिलेगा और शहर का आकर्षण भी बढ़ेगा, बाहर से आने वाले यात्री भी इसका लाभ उठा सकेंगे। भस्मारती के लिये आने वाले धार्मिक श्रद्धालु भी अपना रात का प्रतीक्षा का समय व्यतीत कर सकेगा।
उज्जैन को पानी के स्त्रोत गंभीर बाँध का विकल्प भी चाहिये जिसके लिये सेवरखेड़ी तालाब बेहतर विकल्प हो सकता है उसके कार्य को भी गति दी जानी चाहिये, बांदका में स्टील प्लांट के निर्माण में आ रही बाधाओं को भी दूर किया जाना चाहिये ताकि वह क्षेत्र विकसित हो सके। इसके अतिरिक्त भोपाल के तालाब के नजदीक राजा भोजपाल की मूर्ति की तरह उज्जैन-इंदौर मार्ग पर तपोभूमि चौराहे पर राजा विक्रमादित्य की विशाल मूर्ति स्थापित होना चाहिये ताकि इस मार्ग से आने वाले यात्रियों को पता लग सके कि उज्जैन आ गया है।
आगर रोड पर इंदिरा नगर चौराहे पर कवि कालिदास की मूर्ति मक्सी रोड पर रोडवेज डिपो के पास राज भतृहरि की मूर्ति लगाई जा सकती है। शिवराज जी बिनोद बिमल मिल के सैकड़ों श्रमिकों की आँखें उनका बकाया भुगतान पाने की आस में पथरा गई है नेत्रों के आँसू भी सूख चुके हैं। कृपया इन श्रमिकों के बकाया भुगतान के रास्ते में आ रही प्रशासनिक बाधाओं को दूर करके आप इन श्रमिकों के मुरझाये चेहरों पर मुस्कान लाने का प्रयास करेंगे तो उज्जैनवासी सदैव आपके ऋणी रहेंगे।