दूसरे दिन मैनावती-भर्तृहरि संवाद के साथ महाकाल-उज्जयिनी-मां हरसिद्धि की महिमा का बखान
उज्जैन, अग्निपथ। विक्रमादित्य शिवमहापुराण के दूसरे दिन बुधवार को पं. प्रदीप मिश्रा ने राजा भतृहरि और उनकी बहन मैनावती के संवाद के साथ-साथ मां हरसिद्धि के विराजने का खूबसूरत वृतांत सुनाया। भगवान महाकाल की आराधना पं. मिश्रा ने सुन भोले त्रिपुरारी… नामक सुंदर भजन के जरिए की।
बडऩगर रोड पर चल रही श्री शिवमहापुराण की कथा के दूसरे दिन पं. मिश्रा ने कहा कि पत्नी के कपट से वियोग में बैठे राजा भर्तृहरि को बहन मैनावती ने समझाते हुए काम के सूत्र दिये कि भले ही कैसी भी परिस्थिति हो, कितना ही दु:ख हो लेकिन अपनी वाणी और विचार पर हमेशा संयम रखना। विपरीत परिस्थिति में मौन होना बेहतर है। पलट कर जबाव महादेव देंगे, और ऐसा देंगे कि उसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। मैनावती ने दूसरी सीख यह दी कि विलाप का क्षण कम रखना चाहिए। जो चला गया उसका दु:ख मत मनाओं। महादेव आपको उससे कहीं ज्यादा आपको लौटाएंगे।
सोने की चिडिय़ा का दौर था राजा विक्रम का काल
पं. मिश्रा ने कहा कि राजा विक्रमादित्य के कार्यकाल में हमारा देश वास्तविक रूप से सोने की चिडिय़ा था। सिंहासन संभालते ही प्रारंभ के 25 वर्ष सनातन धर्म के सभी ग्रंथों को बाहर निकाला गया और उस दौरान उन्होंने ७ लाख ३२ हजार गुरुकुल की भारत की धरती पर स्थापित किये। धीरे-धीरे सनातन धर्म फिर लोगों के मन-मस्तिष्क पर छाया और सनातन की पुनर्प्रतिष्ठा हुई। पं. मिश्रा ने कहा कि पाठ्य पुस्तकों में राजा विक्रमादित्य का जीवन वृत्तांत शामिल होना चाहिए।
रूठ कर जा रहीं थी मां हरसिद्धि
पं. मिश्रा ने कहा कि एक बार मां हरसिद्धि रुठकर छोटी-सी कन्या का रूप रखकर जा रहीं थी, राजा विक्रमादित्य से रहा नहीं गया, वे उनके पीछे-पीछे चल दिये। मां शिप्रा के तट पर जब मां विमान में बैठकर जाने लगी तो राजा विक्रमादित्य ने आवाज देकर उन्हें रोका। मां ने कहा मेरे भक्त हरसद (गुजरात) में बुला रहे हैं मुझे वहां जाना होगा। राजा ने दु:खी होकर कहा कि आप चले जाओगी तो उज्जयिनी वासियों को भोजन कौन देगा? मां हरसिद्धि ने कहा तुमने मुझे कन्या के रूप में भी पहचान लिया, मैं तुम पर प्रसन्न हूं अब तुम ही बताओं मुझे उज्जयिनी में कहा रहना। बाद में माता के कहे अनुसार सुबह राजा ने जहां लाल पुष्प रखा वहां मां हरसिद्धि विराजित हो गई और आज भी विराजित हैं।
संशय में मत जीना उज्जैन वालो
पं. मिश्रा ने उज्जैन नगरी की महिमा का बखान करते हुए कहा कि जिस शहर में महाकाल है, मां हरसिद्धि है, कालभैरव, गोपाल जी, मां शिप्रा सहित कोटि-कोटि देवता विराजमान हैं। उस शहर के लोगों को कभी संशय में नही रहना चाहिए। चैन से सोइये, महाकाल के रहते चिंता किस बात की।