भैरवगढ़ जेल में मुझे जान का खतरा

कोर्ट से गुहार के बाद पूर्व जेल अधीक्षक उषा राज को इंदौर की जेल भेजा; तीन अन्य भी गए जेल

उज्जैन,अग्निपथ। जिस केंद्रीय जेल भैरवगढ़ में एक पखवाड़े पूर्व तक हुकूम चलता था आज उसी जेल में जाने से पूर्व जेल अधीक्षक उषाराज को डर लगता दिखाई दिया। रिमांड खत्म होने पर पुलिस ने उन्हें तीन आरोपियों के साथ कोर्ट में पेश किया तो उषाराज ने भैरवगढ़ जेल के नाम से डरती नजर आई। नतजीतन न्यायालय ने उन्हें दो आरोपियों के साथ इंदौर सेंट्रल जेल व एक को भैरवगढ़ जेल भेज दिया।

केंद्रीय जेल भैरवगढ़ में ६८ कर्मचारियों के भविष्य निधि घोटाले में पूर्व उषाराज जेल में लेखा जोखा संभालने वाला रिपुदमन २४ मार्च से और प्रहरी शैलेंद्रसिंह सिकरवार व फल का ठेला लगाने वाला शुभम बामोरी ५ अप्रैल से रिमांड पर थे। चारों को रिमांड खत्म होने पर शनिवार को भैरवगढ़ पुलिस ने जेएमएफसी विनायक गुप्ता की कोर्ट में पेश किया।

पुलिस ने उषाराज, रिपूदमन व शैलेंद्र का फिर रिमांड लेने का प्रयास किया। कोर्ट द्वारा खारिज कर जेल भेजना तय करते ही उषाराज ने गुहार लगाते हुए कहा भैरवगढ़ जेल में उन्हें जान का खतरा है। किसी भी उपजेल में भेज दे। इस पर कोर्ट ने उषाराज, रिपूदमन व शैलेंद्र को १७ अप्रैल तक इंदौर सेंट्रल जेलने के आदेश दे दिए। वहीं शुभम को भैरवगढ़ जेल भेज दिया। याद रहे १० मार्च को उजागर हुए जेलकांड में प्रथम दृष्टया १३.५४ करोड़ का घोटाला सामने आया था,लेकिन जांच में अन्य मदों में भी गबन पाए जाने पर राशि १५ करोड़ को पार कर चुकी है,जबकि अब तक रिकवरी मात्र चार करोड़ तक पहुंची है।

प्रभारी जेल अधीक्षक की ना

उषाराज द्वारा भैरवगढ़ जेल में जान का खतरा बताए जाने पर न्यायाधीश ने प्रभारी जेल अधीक्षक हिमानी मनवारे कर वीडियो कॉलिग की। उन्होंने उषाराज की सुरक्षा को लेकर पूछा तो मनवारे ने उन्हें किसी अन्य जेल में भेजने का निवेदन कर दिया। याद रहे गबन कांड में पकड़ाए चार सटोरिए और धमेंद्र को इसी जेल में रखा गया है। वहीं गबन व ब्लैकमेलिंग के आरोपी जगदीश को महिदपुर व प्रहरी देवेंद्र को बडऩगर जेल भेजा गया है। गबन मामले में ९ आरोपियों को जेल भेजने के बाद पुलिस को प्रहरी धमेद्र लोधी, सुशील परमार, पिंटू तोमर, ललित मंगेश आदि की तलाश है।

उषाराज को अफसोस नहीं

सर्वविदित है गबनकांड में उषाराज द्वारा तीन नोटिस के बाद भी बयान नहंीं देने पर पुलिस उन्हें १८ मार्च को जेल से ही हिरासत ले गई थी। इस दौरान खुद को बेगुनाह बताते हुए पुलिस पर बिफरी थी। पूछताछ होते ही उसी रात वह अटैक के बहाने इंदौर के हॉस्पिटल में भर्ती हो गई थी। बावजूद पुलिस २३ मार्च की रात पकड़ कर ले आई।

मामले में २६ मार्च को दूसरी बार १३ दिन का रिमांड मिलते ही रोते हुए पुलिस को कोसती दिखी थी,लेकिन आज कोर्ट में पूरी तरह बिंदास नजर आई। यहीं नहीं उनके लॉकर से सोने की ईंट मिलने का पूछने पर उपहास उड़ाने के अंदाज में बोली कि गजब है उन्हें तो इसका पता हीं नहीं, जबकि उन्हीं की मौजूदगी लॉकर से ३ किलो ७१७ ग्राम सोने के जेवरात व ईंट, सवा तीन किलो चांदी, तीन प्लॉट व एक फ्लेट के दस्तावेज मिले हैं।

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