नगर निगम की टीम ने तोड़ा आश्रम, बनेगी पार्किंग

संत ने किया विरोध, कहा- मेरे पास जमीन की रजिस्ट्री

उज्जैन, अग्निपथ। मन्नत गार्डन वाली जमीन के पास बना एक आश्रम सोमवार को नगर निगम की टीम ने ढहा दिया है। निगम अधिकारियों का दावा है कि यह आश्रम सरकारी जमीन पर बना हुआ था। इसके ठीक उलट आश्रम के संत का दावा है कि उन्होंने यह जमीन खरीदी थी और इसकी उनके पास रजिस्ट्री भी है। आश्रम निर्माण से पहले सभी तरह के टैक्स जमा कराए गए, जमीन का डायवर्शन भी कराया गया।

हरीफाटक के पास मन्नत गार्डन की जमीन पर नगर निगम की टीम पहले ही कब्जा कर ले चुकी है। यहां स्मार्ट सिटी कंपनी के जरिए मेघदूत वन व वाहनों की पार्किंग का निर्माण किया जाना है। मन्नत गार्डन से सटे हुए एक ओर भू-भाग पर एक आश्रम बना हुआ था। सोमवार को नगर निगम की टीम ने मशीनों की मदद से इस आश्रम को भी ढहा दिया।

श्री कल्याण आश्रम को नगर निगम द्वारा कार्यवाही से काफी पहले नोटिस भी दिया जा चुका था। श्री कल्याण आश्रम के संस्थापक महंत प्रेम परमानंद अग्नि अखाड़े से संबद्ध है। उन्होंने अग्निपथ को बताया कि नगर निगम के अधिकारी जिस भू-भाग को सरकारी बता रहे है, उसकी उनके पास रजिस्ट्री है। यह जमीन 1995 में एक किसान से खरीदी गई थी। जमीन का डायवर्शन कराने के बाद विधिवत तरीके से यहां आश्रम का निर्माण कराया गया था।

महंत प्रेम परमानंद का कहना है कि निगम अधिकारियों ने उनका पक्ष सुना ही नहीं और एक तरफा कार्यवाही कर दी। इसके ठीक उलट इस क्षेत्र के बिल्डिंग ऑफिसर मुकुल मेश्राम ने बताया कि जमीन पर परमानंद भार्गव और ब्रजमोहन भार्गव द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर अवैध निर्माण किया गया था। राजस्व निरीक्षक और पटवारी की सहायता से जमीन का सीमांकन कराया गया और इसके बाद जब साफ हो गया कि अवैध निर्माण सरकारी जमीन पर है, तब उसे तोडऩे की कार्यवाही की गई।

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