पंचकोशी यात्रा: पड़ाव स्थलों पर अव्यवस्थाएं गड्डे खोदकर टूटी सीट लगा दी

यात्रा 15 से 20 अप्रैल तक, अमावस्या के साथ होगा समापन

उज्जैन, अग्निपथ। वैशाख महीने में होने वाली पंचकोशी यात्रा इस बार 15 से 20 अप्रैल तक आयोजित होगी। मध्यमालवा प्रांत में यह परंपरा अति प्राचीन है। यात्रा प्रारंभ होने में मात्र दो दिन बचे हैं लेकिन प्रशासनिक तैयारी प्रारंभिक स्तर की भी नहीं है।

पंचकोशी यात्रा के पड़ाव स्थलों पर व्यवस्थाओं की काफी कमी है। यहां पर यात्रियों के विश्राम के लिए टैंट कम क्षमता हैं। प्रत्येक पड़ाव स्थल पर कम से कम 50 हजार स्क्वेयर फीट टेंट होना चाहिये। पड़ाव स्थल पर सुरक्षा चौकी पूर्व मेले के समय से जीर्णशीर्ण पड़ी है, जो अभी तक सुधारी नहीं गई। वेपर लैंप बंद हैं। इलेक्ट्रिक पोल से करंट से बचने के लिए लगाई गई सुरक्षा पट्टिया टूटी है। जिससे करंट से दुर्घटना होने का डर है। अस्थाई शौचालय तीन-तीन चार-चार फीट के पर्दे की आड़ बनाकर लगा दिये गये।

पानी निकासी के लिए पाइप लाइन की व्यवस्था भी नहीं है। इन अस्थाई शौचालय में केवल गड्डा कर सीट लगा दी गई और पर्दे टांग दिये, कई जगह टूटी सीटें लगा दी गई। डामर की सडक़ के आसपास जहां पर पंचकोशी यात्री पैदल चलते हैं, वो कंटीली है। मार्ग की गिट्टीयां उखड़ी पड़ी है, कटीली झाडिय़ां भी यात्रियों को परेशान करेंगी।

कलेक्टर-एसपी ने सभी व्यवस्थाएं चाक-चौबंद करने के निर्देश दिये

बुधवार को कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम और एसपी सचिन शर्मा ने मय प्रशासनिक अमले के पंचक्रोशी मार्ग का भ्रमण किया। सर्वप्रथम अधिकारीगण श्री नागचंद्रेश्वर मन्दिर पहुंचे, जहां से पंचक्रोशी यात्रा का शुभारम्भ होता है। कलेक्टर ने वहां की जाने वाली बेरिकेटिंग के बारे में जानकारी प्राप्त की। मन्दिर के आसपास स्थित घरों के समीप बिजली के तारों को व्यवस्थित कराने के निर्देश कलेक्टर द्वारा दिये गये।

कलेक्टर ने उंडासा उप पड़ाव स्थल के निरीक्षण के दौरान अधिकारियों से कहा कि पंचक्रोशी यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो, इस बात का विशेष ध्यान रखा जाये। पैदल चलने वाले श्रद्धालुओं को ध्यान में रखते हुए सभी व्यवस्थाएं की जाये। यहां पर लोक निर्माण विभाग के अधिकारी को मार्ग के समतलीकरण और बेरिकेटिंग करने के निर्देश दिये गये। एमपीईबी के अधिकारियों को उंडासा पहुंच मार्ग पर पडऩे वाले पंचमुखी हनुमान मन्दिर की तरफ विद्युत व्यवस्था करने के निर्देश दिये गये।

कलेक्टर ने पिंगलेश्वर पड़ाव स्थल पहुंचकर पंचक्रोशी यात्रा की व्यवस्थाओं के सम्बन्ध में बैठक ली। पीएचई को पानी की पर्याप्त व्यवस्था करने के निर्देश दिये गये। यहां सीईओ जनपद पंचायत उज्जैन द्वारा जानकारी दी गई कि बुधवार शाम तक समस्त स्थल पर टेन्ट लगा दिये जायेंगे। विभिन्न पड़ाव और उप पड़ाव स्थलों पर अस्थाई शौचालयों की पर्याप्त संख्या में व्यवस्था करने के निर्देश दिये गये। विभिन्न स्थानों पर एम्बुलेंस और मेडिकल टीम की तैनाती करने के लिये कहा गया। कलेक्टर ने कहा कि एमपीईबी के अधिकारी एक बार सभी पड़ाव स्थलों पर पहुंचकर वहां बिजली के तारों को व्यवस्थित करवायें।

पिंगलेश्वर मन्दिर में बेरिकेटिंग लगाये जाने और मन्दिर के बाहर से श्रद्धालुओं की परिक्रमा करवाये जाने के बारे में जानकारी बैठक में दी गई। कलेक्टर ने इसके पश्चात त्रिवेणी शनि मन्दिर परिसर का निरीक्षण किया। जानकारी दी गई कि पंचक्रोशी यात्रा के दौरान यहां भी काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। उन्होंने त्रिवेणी घाट पर बेरिकेटिंग करने के निर्देश दिये।

कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक करोहन, नलवा एवं बिलकेश्वर पड़ाव स्थल पर पहुंचे। कलेक्टर ने कहा कि सभी स्थानों पर शासकीय अधिकारी और कर्मचारियों की राउण्ड द क्लॉक ड्यूटी लगाई जाये। उन्होंने नलवा में पड़ाव स्थल के समीप बनाये गये कुए के आसपास बेरिकेटिंग करने के निर्देश कलेक्टर द्वारा दिये गये।

कांग्रेस नेता राजेन्द्र वशिष्ठ ने जन प्रतिनिधियों के साथ किया दौरा

पंचक्रोशी यात्रा मार्ग में व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर कांग्रेस नेता राजेन्द्र वशिष्ठ ने जनपद पंचायत के सदस्य, अध्यक्ष, प्रतिनिधि, उपाध्यक्ष, जनपद सदस्य, और सरपंचो के साथ भ्रमण किया। कांग्रेस नेता राजेन्द्र वशिष्ठ ने कहा कि पड़ाव स्थलों पर प्रशासन द्वारा की जा रही व्यवस्थाओं का अवलोकन करने पर पाया कि प्रशासन द्वारा पड़ाव स्थल पर वित्तीय स्वीकृति नहीं की गई जिससे कार्य प्रभावित होने की संभावना है। राजेन्द्र वशिष्ठ ने बताया कि इन सब अव्यवस्थाओं को लेकर जिलाधीश को अवगत कराकर पंचक्रोशी यात्रियों को आने वाली असुविधाओं से बचाया जाएगा।

स्कंद पुराण में भी वर्णित है पंचकोशी यात्रा का महत्व

यह यात्रा 84 महादेव में से एक नागचंद्रेश्वर महादेव के दर्शन के बाद प्रारंभ होती है। उज्जैन के आसपास और बाहर के भी यात्री इसमें शामिल होते हैं। उज्जैन में होने वाली पंचकोशी यात्रा प्रचलित है, जिसे राजा विक्रमादित्य ने प्रोत्साहित किया है। स्कंदपुराण के अनुसार अनंतकाल तक काशीवास की अपेक्षा वैशाख मास में मात्र पांच दिन अवंतिवास का पुण्य फल अधिक है।

वैसाख कृष्ण दशमी पर शिप्रा स्नान व नागचंद्रेश्वर पूजन के पश्चात यात्रा प्रारम्भ होती है, जो 118 किमी की परिक्रमा करने के बाद कर्क तीर्थवास में समाप्त होती है। इसके बाद तत्काल अष्टतीर्थ यात्रा आरम्भ होकर अमावस्या को शिप्रा स्नान के बाद पंचकोशी यात्रा का समापन होता है।

नगर के चार द्वारपाल की परिक्रमा

उज्जैन का आकार चौकोर है। क्षेत्र रक्षक देवता श्री महाकालेश्वर का स्थान मध्य बिन्दु में है। इस बिन्दु के अलग-अलग अन्तर से मन्दिर स्थित है, जो द्वारपाल कहलाते हैं। इनमें पूर्व में पिंगलेश्वर, दक्षिण में कायावरोहणेश्वर, पश्चिम में बिल्वकेश्वर तथा उत्तर में दुर्देश्वर महादेव जो चौरासी महादेव मन्दिर श्रृंखला के अन्तिम चार मन्दिर है।

श्रद्धालु इन्ही मंदिरो की परिक्रमा कर पंचकोशी यात्रा पूर्ण करते है। पौराणिक तथा धार्मिक मान्यता एवं लोक परंपरा में पंचकोशी यात्रा के 5 कोसों की यात्राओं का प्रभाव बड़ा अलग ही प्रकार का बताया गया है। इस दौरान भगवान का भजन कीर्तन करते हुए नियत पड़ाव पर पहुंचकर महादेव की पूजन की जाती है।

Next Post

एक युवती फिर पॉजीटिव: चरक और माधवनगर कोविड अस्पताल के आक्सीजन प्लांट रेडी

Wed Apr 12 , 2023
एक के मेंटेनेंस के लिये टेक्नीशियन को बुलाया, स्वास्थ्य विभाग सतर्क उज्जैन, अग्निपथ। मौसम बदलने के साथ ही कोरोना एक बार फिर डराने लगा है। मौसम जनित बीमारियां कोरोना में तब्दील हो रही हैं। इसको लेकर जिले के स्वास्थ्य विभाग ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं। माधव नगर कोविड […]