पंचकोशी अधिकृत तौर पर शनिवार से शुरू, दो दिन पहले निकले श्रद्धालु दूसरे पढ़ाव करोहन पहुंचे
उज्जैन, अग्निपथ। आस्था का सफर पंचकोशी यात्रा अपने चरम पर है। शनिवार को यात्रा का विधिवत शुभारंभ हुआ लेकिन दो दिन पहले ही यात्रा पर निकले श्रद्धालु दूसरे पढ़ाव करोहन पर पहुंच गये हैं। चिलचिलाती धूप में आस्था के सफर पर निकले भोले के भक्तों की सेवा यात्रा मार्ग में जगह-जगह की जा रही है। कोई भोजन परोस रहा है तो कोई ठंडे पेयजल पदार्थ। नाचते-गाते श्रद्धालु महादेव की भक्ति में लीन होकर अपने सफर पर चल रहे हैं।
प्राचीन उज्जयिनी ऐतिहासिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक नगरी होने से अनेक विशिष्टताएं समेटे हुए है। पावन उज्जयिनी तीर्थ नगरी के रूप में मान्यता प्राप्त है। विश्व प्रसिद्ध बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग उज्जयिनी में विराजमान है। महाकाल मन्दिर की चारों दिशाओं में चार द्वारपाल विराजित हैं। इन चार द्वारपालों की परिक्रमा वैशाख माह की कृष्ण दशमी (15 अप्रैल) से प्रारम्भ हुई और अमावस्या पर समाप्त होगी।
चिलचिलाती कड़ी धूप पर आस्था और विश्वास की पंचक्रोशी यात्रा भारी है। यात्रा में दूर-दराज के इन्दौर, उज्जैन, भोपाल, गुना, धार, मंदसौर, नीमच, देवास, सीहोर आदि जिलों के श्रद्धालु शामिल हुए हैं। यात्रा में शिव के गुणगान, भजन, कीर्तन, हरि लागवे बेड़ा पार आदि का गुणगान करते हुए अपने पड़ाव स्थलों की ओर अग्रसर हो रहे हैं। यात्रियों को जहां खाने की इच्छा होती है, वहीं छांव देखकर, पड़ाव स्थल या यात्रा मार्ग पर दाल-बाटी आदि का आनन्द लेते हैं। यात्रा मार्ग एवं पड़ाव स्थल पर अनेक सामाजिक संस्थाएं यात्रियों को पेयजल, शर्बत, फलाहार आदि भी वितरित कर पुण्यलाभ प्राप्त कर रहे हैं।
शिवरथ के जरिए भक्ति और सेवा
पंचक्रोशी यात्रा में शिवरथ श्री महालयेश्वर भागवत समिति खत्रीवाड़ा द्वारा निकाला जा रहा है। पं. कुलदीप जोशी, पं. लोकेंद्र श्रोत्रिय बब्बू गुरू व इनके साथी शिव रथ ल ेकर चल रहे हैं। इसके लिए एक रथ पर भगवान भोलेनाथ और पार्वती की झांकी बनाई गई है जबकि साथ चल रही दो ट्रॉलियों में सेवा की सामग्री है। यात्रियों के लिए भोजन, दवाइयां सहित सभी जरूरी सामग्री रथ पर यह लोग उपलब्ध करा रहे हैं। अगर कोई बीमार हो जाये या थक जाये तो उसे रथ मेें बैठाकर अगले पड़ाव तक भी ले जाते हैं।
इस बार बाल पंचक्रोशी यात्री भी अधिक संख्या में
पंचक्रोशी यात्रा में पिछले दो-तीन बरसो से कोरोना के कारण लोगों की आवक कम थी। लेकिन इस बार बड़ा ही जोश है। छोटे-छोटे बच्चे भी पंचकोशी यात्रा में शामिल हैं। शिव रथ में हिमांशु सोलंकी की तीन साल की बेटी वैभवी भी साथ है। हिमंांशु का 10 वर्षीय पुत्र वैभव की भी यह 7वीं यात्रा है। धार के खैरौद गांव के यात्रियों के साथ भी छोटे-छोटे बच्चे इशिका, सिद्धी, आनंद, खुशबू आये हैं। बच्चे-बूढ़े सभी यात्री पूरे जोश के साथ यात्रा में सहभागी बने हैं।