कोरोना में मौत मानकर कर दिया अंतिम संस्कार 2 साल से विधवा के रूप में जी रही पत्नी
धार, अग्निपथ। जिले के सरदारपुर का बड़वेली गांव। शनिवार सुबह अचानक गांव का माहौल बदल गया। गांव का एक घर सभी के केंद्र पर रहा और गांव का हर सदस्य चार कमरे के इस घर में के इर्द-गिर्द घूमता रहा। गांववाले एक-दूसरे से तो बात करते रहे, लेकिन बाहर वाले को अपनी इस चर्चा में शामिल नहीं कर रहे थे। यह घर था कमलेश के मामा का… और चर्चा का विषय था खुद 40 साल का कमलेश।
दो साल पहले काेरोना से कमलेश की मौत होने की बात सामने आई थी। परिवार ने उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया था। शनिवार सुबह अचानक से वह घर लाैट आया, उसके जीवित होने की खबर गांव में आग की तरह फैल गई। बेटे के जिंदा होने की खबर कमलेश के घर पहंुची तो बूढ़े पिता की आंख में आंसू आ गए। दो साल से विधवा का जीवन जी रही पत्नी के चेहरे की मुस्कान लौट आई। पूरा परिवार अपने गांव कड़ोदकला से बड़वेली पहुंचा। यहां कमलेश ने अपनी पत्नी की मांग भरी और फिर से एक बार उसे सुहागन बना दिया।
पहले जान लेते हैं पूरा घटनाक्रम
साल 2021 में बदनावर तहसील के ग्राम कडोदकला का रहने वाला कमलेश पिता गेंदालाल पाटीदार कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित हाे गया था। परिवारवाले उसे सबसे पहले बदनावर के सरदार हॉस्पिटल लेकर पहुंचे। हालत गंभीर हुई तो इंदौर में भी इलाज करवाया। बेटा ठीक हुआ तो परिवार गांव लेकर लौट आया। कुछ दिनों बाद कमलेश के शरीर में ब्लड जमने के साथ ही अचानक से मोटापा चढ़ने लगा। डॉक्टरों को दिखाया तो उन्होंने गुजरात के बड़ौदा में दिखाने का कहा।
इसके बाद परिवार ने उसे बड़ौदा के निजी अस्पताल में भर्ती करवाया। यहां इलाज के दौरान डॉक्टरों ने कमलेश को मृत घोषित कर दिया। अस्पतालवालों की सूचना पर परिवार पहुंचे, लेकिन कोरोना पाॅजीटिव बॉडी होने से उन्हें दूर ही रखा गया। बॉडी पॉलीथिन में लिपटी थी, इसलिए परिवारवाले सही तरीके से परख नहीं पाए और डॉक्टरों की पुष्टि को ही सही मानते हुए बड़ौदा में ही कोविड टीम द्वारा अंतिम संस्कार करवाने के बाद वापस गांव लौट आए।
तेरहवीं का कार्यक्रम भी करवाया
जवान बेटे को खो चुके परिवार ने बड़ौदा से लौटने के बाद घर पर सारी रीति-रिवाज पूरी की। पूरा गांव तेरहवीं के कार्यक्रम में शामिल हुआअ। कमलेश की पत्नी रेखा बाई ने भी खुद को विधवा मानकर अपने जीवन को उस ओर ढाल लिया। शनिवार सुबह अचानक से कमलेश अपने मामा के घर पहुंच गया। कमलेश को अचानक से सामने देख सभी चौंक गए। एक पल के लिए तो वे यह मान ही नहीं पा रहे थे कि उनका कमलेश जिंदा है।
सुबह जैसे ही जीवित होने की सूचना पिता गेंदालाल के ससुराल बड़वेली (सरदारपुर) से मिली तो पिता की आंखों से आंसू छलक आए। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि कमलेश जिंदा है। उन्होंने तत्काल वीडियो काॅल पर कमलेश को दिखाने को कहा। पिता-पुत्र ने एक-दूसरे को देखा तो दोनों भावुक हो गए। परिवार के हर किसी के आंख से खुशी के आंसू छलक आए। इसके बाद परिवार के सभी लोग बेटे को लेने बड़वेली गांव पहंुचे। कमलेश जीवित है, यह बताने के लिए परिवार के कुछ लोग सरदारपुर थाने पहुंचे। जहां बताया गया कि युवक कड़ोदकला का रहने वाला है। यह कानवन थाने में आता है, इसलिए सरदारपुर पुलिस ने उसे संबंधित थाने पर लेकर जाने की सलाह दी।
मुझे इंजेक्शन दिया जा रहा था
कमलेश के आने की जानकरी मीडिया को मिली तो सभी गांव पहुंच गए, लेकिन परिवार ने मीडिया से दूरी बनाए रखी। दैनिक भास्कर ने ग्रामीणों ने बात करनी चाही, लेकिन परिवार की मर्जी नहीं होने के कारण कोई भी कैमरे के सामने तो नहीं आया, लेकिन ऑफ दि रिकॉर्ड वे बोले- कमलेश ने परिवार को यह तो नहीं बताया कि बड़ौदा में उसके साथ क्या हुआ।
कोरोना से ठीक होने के बाद उसे कहीं पर ले जाया गया था, उस जगह का नाम तो उसे नहीं पता, लेकिन कोरोना खत्म होने के बाद भी उसे कोई इंजेक्शन दिया जाता था, जिसके बाद उससे पूरे दिन काम करवाया जाता था। हालांकि वह क्या काम करता था, ये भी उसे याद नहीं है। उसे इतना याद है कि उसे दो टाइम खाना और चाय दी जाती थी।
उसने बताया कि बड़ौदा से वह अहमदाबाद आ गया था। यहां पर किसी गिरोह के चंगुल में फंस गया। उसे अहमदाबाद में 5 से 6 लोगों ने बंधक बनाकर रखा था। एक दिन छोड़कर वे उसे नशीला इंजेक्शन दिया करते थे। वह ज्यादातर समय बेसुध ही रहा करता था। गुरुवार को वे उसे चार पहिया वाहन से अहमदाबाद से कहीं लेकर जा रहे थे, गिरोह के सदस्य होटल पर नाश्ता करने के लिए रुपए।
यहीं पर उसे उनके चंगुल से निकलने का मौका मिला। अहमदाबाद से इंदौर आ रही यात्री बस होटल से रवाना हो ही रही थी, यह देखकर वह गाड़ी से उतरा और बस में सवार हो गया। शुक्रवार को देर रात वह सरदारपुर पहुंचा। यहां उसने कुछ लोगों ने अपने मामा के घर बड़वेली जाने का रास्ता पूछा। लाेगों की मदद से वह अलसुबह मामा के घर पहुंचा।
मांग में भरा सिंदूर
कमलेश के मामा के बेटे मुकेश पाटीदार ने बताया कि सुबह 6-15 बजे के आसपास अचानक दरवाजा किसी ने खटखटाया था, बाहर आकर देखा तो कमलेश पाटीदार गेट पर खड़े हुए थे। हम उन्हें तत्काल भीतर लेकर आए। हमने तत्काल उनके बड़े भाई शरद पाटीदार को फोन पर सूचना दी। उन्हें यकीन ही नहीं हाे रहा था। इस पर हमने वीडियो कॉल करके दिखाया। इसके बाद परिवार में खुशी की लहर छा गई। उनकी पत्नी पिछले दो साल से विधवा की तरह जीवन जी रही थी, लेकिन पति के लौटने व परिवार की सहमति पर शनिवार दोपहर के समय कमलेश ने पुन: परिवार और समाज के लोगों के बीच उनकी मांग में सिंदूर भरा।
इधर, पति के लौट आने पर महिला रेखाबाई का रो-रोकर बुरा हाल है। उसे यकीन ही नहीं हो रहा है कि पति वापस आ गए हैं। खुशी के मारे वह कुछ बोल ही नहीं पा रही है।मुकेश ने बस इतना ही कहा- अभी वह बहुत डरा हुआ है। वह हमें ही कुछ ज्यादा नहीं बता पा रहा है। वह अभी कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है। वह कुछ बोलेगा तो हम आपको जरूर बताएंगे।
ठीक होने के बाद करवाया काम
सरदारपुर एसडीओपी रामसिंह मेडा के अनुसार गांव से मामला संज्ञान में आया है। युवक बदनावर तहसील का निवासी होने के चलते परिजन उसे लेने के लिए ग्राम बड़वेली आए हैं, यदि परिजन कोई शिकायत करते हैं, तो जांच की जाकर वास्तुस्थिति का पता लगाया जाएगा।