कमी: जिला, माधवनगर व चरक अस्पताल में एक पैथालॉजिस्ट

उज्जैन। स्वास्थ्य विभाग नर्सिंग स्टाफ तो ठीक डॉक्टर्स की कमी से भी जूझ रहा है। शहर के तीन शासकीय अस्पतालों में केवल एक पैथालाजिस्ट वर्षों से पदस्थ हैं। वही तीनों अस्पतालों से आने वाले मरीजों की रिपोर्ट बना रहे हैं। इसी तरह स्किन रोग विशेषज्ञ भी वर्षों से शहर के शासकीय अस्पतालों में पदस्थ नहीं हो पाया है। ऐसे में समझा जा सकता है कि किस तरह से इन अस्पतालों में काम हो रहा होगा।

दैनिक अग्निपथ लगातार दो दिन से अस्पताल में स्टाफ की कमी को लेकर समाचार प्रकाशित कर रहा है। स्टाफ की कमी होने के कारण पूरा फायदा मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। नर्सिंग स्टाफ छोड़ दें तो डॉक्टर्स के पद ही अभी तक उज्जैन शहर के तीनों जिला, चरक और माधव नगर में नहीं भर पाये हैं। इनके नहीं होने से मरीजों को कई मर्ज के विषय विशेषज्ञ डॉक्टर्स नहीं मिल पा रहे हैं।

ऐसे में मजबूर होकर उनको निजी डॉक्टर्स की शरण में आना पड़ रहा है। पैथालॉजी डिपार्टमेंट को ही ले लें। तीनों अस्पतालों में 5 पैथालॉजिस्ट पदस्थ किये जाने हैं। लेकिन यहां पर वर्षों से केवल एक पैथालॉजिस्ट डॉ. एसएन भिलवार अपनी सेवाएं दे रहे हैं। चरक अस्पताल की पैथालॉजी में वह अपना कार्यभार संभाले हुए हैं। यहां पर तीनों अस्पतालों के मरीजों को जांचें आ रही हैं। जिनको उन्हें अकेले निपटाना पड़ रहा है।

कोरोना काल में अकेले ही लड़ाई भिट्टी

विगत दो वर्षों के कोरोना काल में अकेले ही डॉ. भिलवार ने पैथालॉजिस्ट का कार्यभार संभालकर सेंट्रल पैथालॉजी में आने वाले मरीजों के नमूनों को फायनल किया था। हालांकि उनकी सहायता करने के लिये संविदा सहित अस्पताल का स्टाफ भी पूरी तरह से जीजान लगाकर इस काम में जुटा हुआ था। लेकिन शासकीय रूप से अधिकृत पैथालॉजिस्ट तो केवल वही थे।

स्किन (डर्मा) रोग विशेषज्ञ 5 साल से नहीं

जिला अस्पताल में स्किन रोग विशेषज्ञ की पदस्थापना विगत 5 साल से नहीं हो पाई है। पूर्व सिविल सर्जन और स्किन रोग विशेषज्ञ डॉ. एनके त्रिवेदी के रिटायरमेंट के बाद यहां पर आज तक इस विषय के विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं। जबकि इसके लिये दो पद रिक्त पड़े हुए हैं। ऐसे में प्रतिदिन स्किन से संबंधित बीमारी लेकर आने वाले मरीज को प्रायवेट डॉक्टर्स की भारी भरकम फीस चुकाकर अपना इलाज करवाना पड़ रहा है। ऐसे में समझा जा सकता है कि स्वास्थ्य विभाग में बड़े पैमाने पर विषय विशेषज्ञ डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टाफ की जब तक भर्ती नहीं होगी, तब तक इनकी कमी पूरी करना संभव नहीं हो पायेगा।

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