जेब में नहीं माल तो कहलाओगे 3 नंबरी माल खर्च करोगे तो बनोगे दो नंबरी
अर्जुन सिंह चंदेल
केन्द्रीय भैरवगढ़ जेल का अशासकीय नियंत्रण कक्ष प्रार्थना भवन में होता है, जहाँ जेल को संचालित करने वाले सारे ठेकेदार मौजूद रहते हैं। प्रार्थना भवन से ही जेल और कैदियों पर नियंत्रण रखा जाता है।
जिस प्रकार पुलिस थानों के क्षेत्र बंटे रहते हैं उसी प्रकार जेल के अंदर की बैरकों का भी तीन नामों से वर्गीकरण कर रखा है ‘अ’, ‘ब’ और ‘स’ या 1-2 और 3 जो व्यापारी या मालदार आदमी किसी अपराध में जेल जाता है तो उसे सबसे पहले ‘स’ या 3 नंबर की बैरक में भेजने का फरमान जारी कर दिया जाता है। 3 नंबर की बैरक को सुविधाओं के हिसाब से सबसे निकृष्ट माना जाता है। 1 और 2 नंबर की बैरकों को आरामदायक और सुविधाजनक माना जाता है।
मालदार आसामी 3 नंबर बैरक का नाम आते ही घबरा जाता है और शरणम् गच्छामी हो जाता है। जो भी बैरकों की व्यवस्था का ठेकेदार होता है वह उस कैदी को 1 व 2 नंबर बैरक में भेजने के 15 से 20 हजार की वसूली कर लेता है।
अब आपके मन में यह प्रश्न उठ रहा होगा कि ठेकेदार कौन होता होगा तो, हम आपको बताते हैं वह कैदी जो हत्या या किसी अन्य गंभीर अपराध में आजन्म कारावास या लंबी सजा काट रहा हो या सजायाफ्ता कैदी जो जेल अधिकारियों का वफादार और विश्वसनीय होता है वह बकायदा अधिकारियों से इन बैरकों का ठेका लेता है।
पूर्व जेल अधीक्षक के आने के पहले इन बैरकों का ठेका 1 लाख 80 हजार प्रतिमाह में जाता था पर जेल अधीक्षका ने आते ही रेट में 15 प्रतिशत की वृद्धि कर इन बैरकों का ठेका 2 लाख 10 हजार प्रतिमाह कर दिया था। 2 लाख 10 हजार प्रतिमाह जेल अधिकारी को देने के बाद ठेकेदार स्वतंत्र हो जाता था कि वह कैदी से जितनी चाहे उतनी अवैध वसूली करे।
शेष कल