उज्जैन, अग्निपथ। रेलवे स्टेशन के ठीक सामने बनी चंद्रगुप्त होटल में आगजनी की घटना के बाद रविवार दोपहर में राजस्व अमले ने होटल को सील कर दिया है। होटल में जितने यात्री ठहरे हुए थे, उन्हें और सभी कर्मचारियों को होटल से बाहर निकाला गया और इसके बाद होटल पर सरकारी ताला जड़ दिया गया।
दो दिन पहले चंद्रगुप्त होटल के पांचवे माले पर रात करीब 1 बजे आगजनी की घटना हो गई थी। पांचवे माले की डारमेट्री में हुई आगजनी की घटना के बाद होटल में ठहरे 70 से ज्यादा यात्री लोग जान बचाकर भागे। गनीमत रही कि समय रहते आग पर काबू पा लिया गया। इस घटना को कलेक्टर कुमार पुरूषोत्तम ने बेहद ही गंभीरता से लिया है।
उन्होंने प्रभारी फायर ऑफिसर विजय गोयल और तहसीलदार अर्चना गुप्ता को मौके पर जांच के लिए भेजा था। होटल चंद्रगुप्त के संचालक का नाम अनुज जायसवाल है और वह इंदौर का रहने वाला है। अनुज जायसवाल बिल्डिंग निर्माण की परमिशन भी प्रस्तुत नहीं कर सका। इसके अलावा फायर ऑफिसर द्वारा की गई शुरूआती जांच में होटल की बिल्डिंग में फायर सेफ्टी के कई नियमों का पालन नहीं होने की बात सामने आई है। बिल्डिंग में फायर सेफ्टी के उपकरण नहीं थे, इसके अलावा इमरजेंसी इंट्री और एग्जिट भी नहीं है। इसी आधार पर होटल को सील कर दिया गया।
तीन मंजिल से ज्यादा नहीं निर्माण की अनुमति
रेलवे स्टेशन के ठीक सामने वाले हिस्से में किसी भी बिल्डिंग को तीन मंजिल से ज्यादा निर्माण की अनुमति का प्रावधान ही नहीं है। होटल चंद्रगुप्त में आग पांचवी मंजिल पर लगी थी। इस क्षेत्र के दुकानदारों का दावा है कि सिंहस्थ 2004 के पूर्व सडक़ चौड़ीकरण के दौरान जब उनकी होटलों की जमीन को सडक़ में शामिल किया गया था तब उन्हें एफएआर का लाभ दिया गया था। ज्यादातर होटल वालों के पास एफएआर सर्टिफिकेट तो है लेकिन उपर दो से तीन मंजिल भवन बनाने की विधिवत बिल्डिंग परमिशन नहीं है।