इनमें से 8 बांडेड, दो नियमित चिकित्सक, अलग-अलग कर रहे ड्यूटी
उज्जैन, अग्निपथ। जिला अस्पताल के दंत चिकित्सा विभाग में आपको जानकार आश्चर्य होगा कि 10 डॉक्टर्स अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जितनी संख्या डॉक्टरों की है, उसकी तुलना में काफी कम मरीज उपचार लेने के लिये आते हैं। हालांकि यह सभी बांडेड डॉक्टर्स हैं। लेकिन इनको वेतन के रूप में शासन 70 हजार रुपये प्रतिमाह प्रदान कर रहा है। ऐसे में जहां पीजी करने के लिये डॉक्टर्स को बांडेड होना पड़ रहा है। वहीं शासन को भी लाखों रुपये इनको ट्रेंड करने में खर्च करना पड़ रहे हैं।
जिला अस्पताल के ओपीडी में दंत चिकित्सा विभाग का एक रूम है। एक अलग कोने पर स्थित यहां की प्रभारी डॉ. आरती मेनिया हैं। नियमित डॉक्टर के रूप में एक और डॉ. रूद्रप्रताप गुप्ता को भी शासन ने यहां के दंत चिकित्सा विभाग में पदस्थ कर रखा है। इसके अलावा यहां पर 8 बांडेड डॉक्टर्स डॉ. रावल पाटीदार, डॉ. अश्विनी बघेल, डॉ. अनुज व्यास, डॉ. पूजा दुबे, डॉ. महति भास्कर, डॉ. सौम्या खरे, डॉ. परिधि गौड़, डॉ.फरहत लोहावाला भी पदस्थ हैं। ऐसे में कुल जमा 10 डॉक्टर्स दंत चिकित्सा विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
24 ओपीडी पर 10 डॉक्टर्स
प्रतिदिन दंत चिकित्सा विभाग में 24 ओपीडी मरीजों को देखा जाता है। यह संख्या प्रभारी द्वारा बताई गई संख्या है। लेकिन जानकारी में आया है कि इससे भी कम ओपीडी प्रतिदिन इन 10 डॉक्टर्स द्वारा निपटाई जाती है। दंत चिकित्सा विभाग का कक्ष छोटा होने के कारण सभी 10 डॉक्टर्स एकसाथ यहां पर नहीं बैठ पाते लिहाजा उनको दूसरी जगह पर काम के लिये भेज दिया जाता है। दंत चिकित्सा विभाग का डॉक्टर्स दूसरी जगह पर क्या काम करते होंगे। यह बात पाठकगण आसानी से समझ सकते हैं।
70 हजार रुपये वेतन दिया जा रहा
जानकारी में आया है कि बांडेड डॉक्टर पीजी करने के लिये बांड पर नौकरी करने के लिये आते हैं। यहां 1 साल नौकरी करने के बाद ही उनको पीजी करने की पात्रता शासन प्रदान करता है। हर बांडेड डॉक्टर को शासन 70 हजार रुपये वेतन दे रहा है। इस तरह से कुल जमा प्रतिमाह 8 बांडेड डॉक्टर्स पर 5 लाख 60 हजार रुपये खर्च किये जा रहे हैं। ज्ञात रहे कि 1 साल बांड भरकर सेवा नहीं करने वाले पीजी करने वाले डॉक्टर्स को शासन को 10 से 15 लाख रुपये तक चुकाने पड़ते हैं। इसके बाद ही उनको पीजी करने की पात्रता मिल पाती है।