अचानक बारिश से मंडी में किसान और व्यापारियों की फसल भीगी

कृषि उपज मंडी में दो हजार से ज्यादा कट्टे बारिश में भीगे, अचानक बारिश से मंडी में मची अफरा-तफरी

उज्जैन, अग्निपथ। शुक्रवार को अचानक हुई बारिश के चलते उज्जैन कृषि उपज मंडी में चारों तरफ पानी ही पानी हो गया। मंडी में उपज बेचने आए किसान तेज बारिश के बीच एक कांटे पर वजन तुलाई के लिए लाइन में लगे रहे। कुछ किसान खाली ट्राली को वजन लेने और कुछ उपज का वजन लेने के लिए लाइन में लगे हुए थे। जो किसान अपने साथ बारिश से बचाव के लिए तिरपाल लाए थे उन्होंने उपज को उससे बचाया। वहीं कई किसानों के पास तिरपाल नहीं था तो वे शेड में जाकर खड़े हुए। वहीं जो उपज मंडी प्रांगण में बोरियों या ढेरी के रूप में रखी हुई थी। वह भीग गई। इसमें कई व्यापारियों की उपज भी बताई जा रही है। जो भीग गई हैं। करीब दो हजार से ज्यादा कट्टे बारिश में भीग गए हैं।

किसान और व्यापारियों के नुकसान को देखकर सबके चेहरे उतर गए थे। मंडी के व्यापारी सांवरिया ट्रेडर्स के नंदकिशोर और अनिकेत खंडेलवाल का कहना है कि उनके पांच -पांच सौ क्ंिवटल की उपज पानी में भीग गई है। नंदकिशोर की सोयाबीन बारिश पूरी तरह से भीग गई।

खराब मौसम के बाद भी आवक बढ़ी

पिछले दो दिनों से जिले में बारिश का मौसम चल रहा है। इसी के चलते किसान उपज लेकर मंडी में आने लगे हैं। शुक्रवार को मंडी में 22747 बोरियों की आवक हुई। गुरुवार को 17 हजार से ज्यादा बोरियों की आवक हुई थी। लोकवान की 6551 बोरियां अधिकतम 2816 के दाम, पोषक गेहूं की 7223 बोरियां अधिकतम 2284 के दाम और मील के गेहूं की 4163 बोरियों अधिकतम 2124 के दाम पर बिकी। चने की कुल 328 बोरियां आई। इसमें से काबली चना 10128 के अधिकतम और इटेलियन चना 4825 के दाम पर बिका। जबकि सोयाबीन की 2158 बोरियां अधिकतम 5440 के दाम पर बिकी।

युवा व्यापारियों में नुकसान से ज्यादा किसी वरिष्ठ के नहीं पूछने से आक्रोश

अचानक बारिश के चलते व्यापरियों को हुए नुकसान की सूचना पर युवा व्यापारियों में आक्रोश हैं। समरेश अग्रवाल नामक युवा ने व्यापारियों के सोशल मीडिया ग्रुप में नुकसान से ज्यादा किसी वरिष्ठ के द्वारा व्यापारियों से उनके नुकसान की पूछ -परख नहीं करने पर नाराजगी जताई। वहीं इस मामले में अनाज तिलहन संघ के अध्यक्ष गोविंद खंडेलवाल का कहना है कि अचानक मौसम खराब होने से मंडी परिसर में व्यापारियों का अनाज पड़ा हुआ था। बारिश में भीगने से उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। इसका कोई विकल्प भी नहीं है।

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