साधु-संत सनातन धर्म को नष्ट करने का प्रयास न करें-पुजारी महासंघ ने जताया विरोध, पीएम-सीएम को लिखा पत्र
उज्जैन, अग्निपथ। प्रत्येक 12 वर्ष में उज्जैन में लगने वाला सिंहस्थ महापर्व धर्म व आध्यात्मिक हैं ना की स्मार्ट और आधुनिक। साधु-संत लोग हमारे सनातन धर्म को नष्ट ना करे। सिंहस्थ के नाम पर किसानों की भूमि छीनने, कब्जा करने और किसानों को भूमि विहीन करने का षड्यंत्र किया जाने लगा है।
इस आशय का एक पत्र अखिल भारतीय पुजारी महासंघ के पदाधिकारी राकेश जोशी, नितेश मेहता ने प्रधानमंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री को भेजा है। साथ साथ ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरि महाराज से भी प्रश्न किया है कि आप सनातन धर्म को आधुनिक बनाना चाहते हैं या आध्यात्मिक रखना चाहते हैं।
यदि आधुनिक बनाना चाहते हैं तो जैन समाज से शिक्षा ले जिसने छत्तीसगढ़ में स्थित सम्मेद शिखर तीर्थ स्थल को पर्यटन केंद्र नहीं बनने दिया। आपसे आग्रह है कि आप मंदिरों की परंपरा व व्यवस्थाओं में हस्तक्षेप न करें तो ही उचित होगा। आपके अखाड़ों में ही बहुत समस्याएं इसलिए उसका निराकरण कराएं।
पिछले सिंहस्थ में अखाड़ों को सरकार द्वारा करोड़ों रुपए देकर निर्माण कराए गए थे जिसमें सरकार की मंशा थी कि वहां आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाने वाले भजन, कीर्तन, तप व यज्ञ आदि होंगे। लेकिन वहां तो अखाड़ों का व्यवसायीकरण हो गया है क्या आप उन्हें व्यवसायीकरण से मुक्त करने की बात करेंगे?
पहले अखाड़ों की भूमि का व्यावसायीकरण रोकें
पदाधिकारियों ने हरि गिरि महाराज के संज्ञान में लाते हुए बताया कि पिछले दिनों एक संस्था ने 13 अखाड़े गुम होने का पत्र सिंहस्थ प्राधिकरण अध्यक्ष को दिया था। इस विषय पर भी अपनी प्रतिक्रिया दें। मुख्यमंत्री से मांग है कि सिंहस्थ क्षेत्र में साधु-संतों ने अखाड़ों की भूमि का व्यावसायीकरण कर दिया हैं। ऐसे में यदि उज्जैन से बाहर क्षिप्रा नदी के किनारे सिंहस्थ का आयोजन किया जाता है तो अनुचित नहीं होगा। क्योंकि पूर्व में सन् 1897 में महिदपुर में सिंहस्थ का आयोजन किया जा चुका है। आधुनिकता के नाम पर किसानों से उनकी रोजी रोटी छीनकर भूमिहीन न बनावे।