उज्जैन, अग्निपथ। बहुत जल्दी शहर का सबसे व्यस्ततम और संकरा मार्ग कोयलाफाटक से गोपाल मंदिर तक का हिस्सा फोर लेन में तब्दील होगा।
इस योजना पर काम करने की सहमति सोमवार को स्मार्ट सिटी के तहत होने वाले कामों की समीक्षा बैठक में हुई है। इसके तहत कोयला फाटक से निजातपुरा, नरेंद्र टॉकीज, कंठाल, छोटा सराफा से लेकर छत्री चौक का हिस्सा चौड़ा कर फोरलेन करने की योजना है। इसके अलावा जीरो पाइंट ब्रिज से कोयला फाटक एवं कमरी मार्ग से लालबाई-फूलबाई मार्ग तक मास्टर प्लान के अनुसार सडक़ को फोरलेन में तब्दील करने पर सहमति व्यक्त की गई।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ.मोहन यादव, सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक पारस जैन, कलेक्टर आशीष सिंह, नगर निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल, महाकालेश्वर मन्दिर प्रबंध समिति के प्रशासक एडीएम नरेन्द्र सूर्यवंशी, स्मार्ट सिटी सीईओ जितेन्द्रसिंह चौहान की मौजूदगी में सोमवार को बृहस्पति भवन में महाकाल मन्दिर क्षेत्र विकास योजना एवं शहर में किये जा रहे अण्डर ग्राउण्ड डक्टिंग के कार्य की समीक्षा की गई
रूद्रसागर से चारधाम मंदिर की ओर बनेगा नया ब्रिज
रूद्र सागर पर चारधाम मन्दिर की ओर से महाकालेश्वर मन्दिर को जोडऩे के लिये एक नया आकर्षक ब्रिज बनाने का निर्णय लिया गया। साथ ही त्रिवेणी संग्रहालय से चारधाम मन्दिर की टंकी तक मार्ग की चौड़ाई 24 मीटर से बढ़ाकर 40 मीटर करने का निर्णय लिया गया। बैठक में मृदा फेज-1 व 2 एवं महाकालेश्वर मन्दिर विकास पर आधारित प्रोजेक्टेड वीडियो का प्रदर्शन किया गया। वीडियो में दर्शाये गये पार्किंग स्थल, फेसिलिटी सेन्टर, पाथवे, महाराजवाड़ा क्षेत्र का विकास, धर्मशाला एवं अन्नक्षेत्र का निर्माण आदि सभी कार्यों पर सहमति व्यक्त की गई। बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि जब तक नये महाकाल प्रवचन हाल का कार्य शुरू नहीं हो जाता, तब तक पुराने को डिसमेंटल नहीं किया जाये।
महाकाल मंदिर के सामने 82 मकान होंगे अधिग्रहित, 70 करोड़ होंगे खर्च
बैठक में बताया गया कि महाकालेश्वर मन्दिर के सामने की ओर 70 मीटर लम्बाई में सर्वे किया गया है। इस सर्वे में 82 मकान आ रहे हैं। मकानों के अधिग्रहण पर 70 करोड़ रुपये का खर्च होगा। जनप्रतिनिधियों ने इन मकानों के अधिग्रहण के बाद मुक्त हुई जमीन पर किस तरह के निर्माण एवं सौंदर्यीकरण किया जायेगा और इस पर कितना व्यय आयेगा, इस पर आधारित ब्रोशर बनाने को कहा है। ब्रोशर के आधार पर मंत्री, सांसद व विधायक अपने स्तर से राज्य शासन एवं निजी संस्थानों से इसके लिये राशि प्राप्त करने का प्रयास करेंगे। जमीन अधिग्रहण के बाद यहां पर भव्य महाकाल द्वार बनाने की योजना बनाने के लिये कहा गया है।