बच्चों के मित्र बनें माता-पिता, बच्चों का चरित्र निर्माण बेहद जरूरी

महाकाल मंदिर के युवा पुजारी-पुरोहितों ने बच्चों के चरित्र निर्माण जैसे गहन-गंभीर मुद्दे पर रखा संवाद कार्यक्रम

उज्जैन, अग्निपथ। चरित्र निर्माण में वर्तमान चुनौतियां, संस्कारों एवं अभिभावकों की भूमिका जैसे गहन गंभीर विषय पर रविवार को त्रिवेणी संग्रहालय में शाम 7 बजे से महाकाल मंदिर के पुजारी-पुरोहितों ने प्रथम बार संवाद कार्यक्रम आयोजित किया। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के सदस्य एवं पुजारी श्री राम शर्मा ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य वक्ता संघ के मालवा प्रांत के सह प्रांत प्रचारक राजमोहन थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता भर्तृहरि गुफा उज्जैन के महंत योगी पीर रामनाथ महाराज ने की। विशेष वक्ता के रूप में विद्वान ज्योतिषि राजराजेश्वर शास्त्री मूसलगांवकर थे।

प्रमुख वक्ता राजमोहन ने कहा कि विदेशों ने तो हमें अनेको बार लूटा है, नुकसान भी पहुँचाया पर भारत की संस्कृति कुछ और ही कहती है। इनके महल हमारी ही संपत्ति से तो बने है। ब्राह्मण, पंडित, पुजारी ये हमारे ब्रांड एंबेसेडर हैं। मैं कथा वाचकों से भी निवेदन करता हूं कि सामाजिक समरसता का उल्लेख जरूर करे। बेटियों को बचाना बहुत जरूरी है। अपन ने ही अपनी नदियों को गंदा कर दिया है। जबकि हम इन्हें माता कह रहे। पेड़ आवश्यक लगाए। डिस्पोजल का उपयोग रोके। इसी से पर्यावरण शुद्ध होगा। अपने देश के लिए जिएंगे और सनातन धर्म पर कोई आंच नहीं आने देंगे ऐसा सभी संकल्प लें।

अध्यक्षता कर रहे महंत योगी पीर श्री रामनाथ जी महाराज ने कहा ब्राह्मण, संन्यासी और माता पिता सभी का एक ही फर्ज है वे नई पीढ़ी को संस्कारित करें। विशेष वक्ता के रूप में श्री मूलसगांवकर ने कहा कि हम महाकालेश्वर की उपासना करें न कि बार-बार जय महाकाल कहे। क्योंकि महाकाल का अर्थ ही अलग है। महाकालेश्वर में ही सबकुछ समाहित है। कार्यक्रम का संचालन सुश्री एकता व्यास ने किया। मंच से अतिथियों ने कार्यक्रम में उपस्थित अभिभावकों से चर्चा की और उनके सवालों के संतुष्टजनक जवाब भी दिए। मंच से संचालनकर्ता ने यह भी जानकारी दी कि अभिभावक बच्चों से जुड़े और और भी आयोजन आने वाले समय में आयोजित किए जाएंगे।

अतिथियों ने बच्चों के लिए अभिभावकों को यह टिप्स दिए

  • घर में अपने बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार होना चाहिए।
  • बेटा-बेटी में फर्क न हो।
  • परिवार में खुलकर बात करें।
  • बच्चा घर आए तो उसे कोई अटेंड जरूर करे।
  • आजकल माता-पिता फेसबुक पर है तो उनके बच्चे इंस्टाग्राम पर शिफ्ट हो गए।
  • आप सब भी उनसे नए सोशल मीडिया प्लेट फार्म पर जुड़ जाए।
  • सोशल मीडिया का उपयोग आज के समय में बच्चे अपने विवेक से करें।
  • क्या सही है, क्या गलत यह निर्णय स्वयं ले। क्योंकि अब सब समझदार हो चुके है।

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