4 ड्रेसरों को उनके मूल कार्य को छोडक़र दिया गया अन्य विभागीय कार्य
उज्जैन, अग्निपथ। स्वास्थ्य विभाग किस तरह से मेन पॉवर की कमी से जूझ रहा है। यह वहां पर कार्यरत प्रभारी और स्टाफ ही जानता है। आप को जानकर आश्चर्य होगा कि मेन पॉवर की कमी के कारण ड्रेसर का काम वहां के वार्डबॉय को करना पड़ रहा है। बाकी वहां पर पदस्थ जो ड्रेसर हैं, उनको अन्य काम थमा दिया जाने के कारण वह अपने मूल कार्य से विरत हैं।
माधव नगर अस्पताल में 4 डे्रसर अनोखीलाल मदावत, देवेन्द्र शर्मा, डीके अहिरवार और सोनू चौहान पदस्थ हैं। इसके बावजूद यहां पर ड्रेसिंग का काम वार्डबॉय के भरोसे ही रहता है। जबकि वार्डबॉय का यह काम नही है। फिर भी उसी से ये काम करवाया जाता है। वार्डबॉय आर्थर पॉल ही चोटिल लोगों की ड्रेसिंग का काम करता है। इनमें से एक ड्रेसर की ड्यूटी नाइट में भी रहती है। लेकिन वह नाइट को रुकता ही नहीं है। घर चले जाता है और सुबह आता भी नहीं है।
ऐसा क्यों हो रहा है, इसके पीछे भी मेन पॉवर नहीं होना सामने आ रहा है। माधव नगर अस्पताल में मेन पॉवर की बेहद कमी होने के कारण ड्रेसर का काम वार्डबॉय को करना पड़ रहा है।
24 घंटे के लिये फार्मासिस्ट भी एक
यहां पर यह लिखना भी जरूरी है कि जिला अस्पताल सहित माधव नगर में भी फार्मासिस्ट की कमी बनी हुई है। माधव नगर अस्पताल में केवल एक फार्मासिस्ट मिथलेश मिश्रा पदस्थ हैं। माधव नगर अस्पताल में 24 घंटे के लिये केवल एक फार्मासिस्ट ही है। जोकि यहां पर कार्य करता है। ऐसे में आसानी से समझा जा सकता है कि मेन पॉवर की कमी से किस तरह से स्वास्थ्य विभाग जूझ रहा है। जिसके चलते कर्मचारियों को उनके मूल कार्य को छोडक़र अन्य कार्य करना पड़ रहा है।
ड्रेसरों को अन्य जवाबदारी सौंप रखीं
ऐसा नहीं है कि ड्रेसर काम नहीं करते हैं। चारों ड्रेसर को मेन पॉवर नहीं होने के कारण अस्पताल प्रशासन ने अलग अलग काम सौंप रखे हैं। एक ड्रेसर को दवाई गोली वितरण में, दूसरे को ड्रेसिंग के कार्य में, तीसरे को नाइट ड्यूटी में तो चौथे को रिकार्ड कीपर के काम में पदस्थ कर रखा गया है। ऐसे में ड्रेसिंग का अपना मूल कार्य छोडक़र केवल मेन पॉवर के अभाव में यह चारों दूसरे कार्य कर रहे हैं और इनका काम वार्डबॉय कर रहा है।