भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने अपनी नई कार्यकारिणी की घोषणा भोपाल में की। हालांकि प्रदेशाध्यक्ष ने अपनी नई टीम में प्रदेश में नए ओर युवा तुर्क को संगठन में शामिल कर यह संदेश दे दिया कि संगठन में युवाओं की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। प्रदेश कार्यकारिणी सहित अन्य मोर्चा मंडलों की घोषणा की।
इस घोषणा में आलीराजपुर जिला अछूता रहा तो झाबुआ जिले में संगठन सहित अनुसूचित जनजाति मोर्चे हेतु प्रदेश अध्यक्ष का पद मिला। हालांकि जिले के लिए गौरव और खुशी की बात बे किन्तु प्रदेश अध्यक्ष की उक्त घोषणा से भाजपा में ही अंदर खाने गुटबाजी और विरोध के गुबार उठने लगे हैं।
कारण यह कि प्रदेश कार्यकारिणी में मंत्री पद सहित भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष जिले के थांदला में ही देकर जिले की अन्य विधान सभाओं और क्षेत्रों की उपेक्षा की है। बात जिले में संतुलन बनाए रखने की बात जब सामने आती है तो जिला भाजपा में थांदला विधान सभा अभी संगठन के मामले में सबसे भारी नजर आ रही है। वर्तमान में प्रदेश मंत्री सहित अनुसूचित जनजाति के प्रदेश अध्यक्ष सहित जिला भाजपा अध्यक्ष भी इसी विधान सभा स्वयं आते हैं। ऐसे में जिले के वो भाजपाई और उनके समर्थक जो न केवल वरिष्ठता क्रम के साथ ही मैदानी पकड़ वाले हंै।
अपने आप को उपेक्षित मानने लगे हैं। भाजपाई राजनीति में रूचि रखने वालों की माने तो थांदला की नेत्री को पूर्व में भी संगठन में दायित्व मिल चुका है लिहाजा इस बार किसी अन्य भाजपाई महिला को पद मिलता तो भाजपाइयों का उत्साह और अधिक बढ़ जाता। वहीं अनुसूचित जन जाति का प्रदेश अध्यक्ष का पद भी उन्हें मिला जो न केवल पूर्व में पार्टी से बगावात कर निर्दलीय विधान सभा में उतर पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी को हरा चुके है। साथ ही पुन: भाजपा में शामिल हो कर एक ओर चुनाव भी हार चुके है।
ऐसे में प्रदेशाध्यक्ष द्वारा लिया गया निर्णय अंतिम पायदान के भाजपा सदस्यों अथवा पार्टी की रीति नीति से प्रेरित हो कर भाजपा में शामिल हुए उन में गलत संदेश जाएगा। हालांकि कैडर बेस पार्टी में अभी बगावत की चिंगारी अंदर खाने ही सुलग रही जो समय का इंतजार कर रही है। वैसे भी आदिवासी बाहुल्य आलीराजपुर को संगठन अछूता रख चुका तो झाबुआ में थांदला विधान सभा की बल्ले बल्ले कर दी। प्रदेशाध्यक्ष की उक्त घोषणा से थांदला विधान सभा क्षेत्र में खुशी की लहर के साथ आतिशबाजी का दौर शुरू हो गया है। खेर भाजपा जो अनुशासित कैडर बेस पार्टी में संगठन सामंजस्य बना पाता है या नहीं अभी भविष्य के गर्त में है।
आओ इसका पता लगाएं
वह कौन प्राचार्य है जिसने आपदा को भी अवसर में बदल डाला। विगत सत्र में संपन्न हुई कक्षा 9वीं एवं 11वीं की स्थानीय परीक्षा में अनुत्तीर्ण छात्र छात्राओं को भी कक्षा उन्नत कर दसवीं में प्रवेश दे दिया। जबकि कक्षा उन्नत करने का आदेश इन कक्षाओं में पूरक प्राप्त करने वालों के लिए था। खास बात यह है कि सभी अनुत्तीर्ण को कक्षा उन्नत ना करके कुछ चुनिंदा को ही दसवीं और 12वीं में प्रवेश दिया जाना प्राचार्य की नीयत को दर्शाता है। साहब के घपले तो बहुत है लेकिन फिलहाल तो बस इतना ही पता करना है की 9 वीं और 11वीं में चुनिंदा पर ही साहब की मेहरबानी क्यों ?