अचानक आई आंधी-बारिश : महाकाल लोक की छह मूर्तियां धराशायी

चंद मिनट की आंधी नहीं सह पायी करोड़ों की मूर्तियां, अनिश्चितकाल के लिए महाकाल लोक बंद

उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन के महाकाल महालोक में सात महीने पहले करोड़ों की लागत से लगी मूर्तियों में से छह मूर्तियां रविवार को अचानक चली तेज हवाओं में उड़ कर क्षतिग्रस्त हो गई। महाकाल मंदिर में लगा टेंट भी उड़ गया, हालांकि कर्मचारियों की सजगता से दर्शनार्थी सलामत हैं, किसी को खरोंच भी नहीं आई।

रविवार शाम को उज्जैन में अचानक मौसम बदला। तेज धूप के बीच शाम करीब साढ़े तीन बजे मौसम ने करवट ली और अचानक हवाएं चलने लगी और बारिश शुरू हो गई। इन हवा से सबसे ज्यादा नुकसान महाकाल महालोक को हुआ है। हवाओं की मार के कारण यहां स्थापित सप्त ऋषियों की सात में से छह मूर्तियां क्षतिग्रस्त हो गई। सभी छह मूर्ति खंडित होकर जमीन पर आ गईं।

जमीन पर आ गिरी सप्तऋषि की प्रतिमाएं।

10 फीट ऊंची ये मूर्तियां लाल पत्थर और फाइबर रेनफोर्स प्लास्टिक से बनी हैं। इन्हें करीब 15 फीट ऊंचे स्टेंड पर स्थापित किया गया था। हवाओं के कारण मूर्तियां स्टैंड से गिरकर नीचे जमीन पर आ गिरी और क्षतिग्रस्त हो गई। इन पर गुजरात की एमपी बाबरिया फर्म से जुड़े गुजरात, ओडिशा और राजस्थान के कलाकारों ने कारीगरी की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर 2022 को उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर के नए परिसर महाकाल लोक का लोकार्पण किया था। लोकार्पण के बाद यह पहला मौका था जब तेज हवाओं की मार मूर्तियों ने झेली हो।

अन्य मूर्तियों को भी बारीकी से जांचा

घटना के बाद मंदिर समिति से जुड़े अधिकारियों ने महाकाल महालोक की अन्य मूर्तियों को बारीकी से देखा। सूत्रों के मुताबिक अन्य मूर्तियों मेें भी दरारें मिलने की जानकारी हैं, लेकिन मंदिर समिति इस मामले को गोपनीय रखे है कि अन्य मूर्तियां भी हवाओं से प्रभावित हुई है या नहीं। हम आपको बता दें कि महालोक में देवी-देवताओं की 190 से अधिक मूर्तियां लगाई गई हैं। महाकाल लोक परियोजना के पहले चरण पर 310 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। इसके बाद 778 करोड़ की लागत से दूसरे चरण का काम शुरू हुआ। इसके तहत महाकाल परिसर का विस्तार और सौंदर्यीकरण किया जा रहा है।

प्रशासन ने तुरंत मोर्चा संभाला, महाकाल लोक से लोगों को बाहर निकाला

महाकाल लोक में मूर्तियां क्षतिग्रस्त होने की जानकारी मिलते ही प्रशासन सकते में आ गया। तुरंत ही बरसते पानी में मंदिर से जुड़े निजी व समिति के कर्मचारियों को मौके पर भेजा और जमीन पर पड़ी खंडित मूर्तियों को खड़ा करवाया। हालांकि मूर्तियां नीचे गिरने पर कई जगह से क्षतिग्रस्त हो गई थी। मूर्ति टूटने की घटना शहर में आग की तरह फैलती देख प्रशासन ने महाकाल लोक से दर्शनार्थियों को बाहर करना शुरू कर दिया।

उन्हें भारत माता मंदिर के पीछे वाले मार्ग से बेगमबाग की ओर सख्ती से निकालना प्रारंभ कर दिया। ताकि इस घटना की और फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी नहीं हो सके। मूर्तियां गिरने की सूचना मिलते ही प्रशासनिक अधिकारियों की टीम महाकाल लोक पहुंच गई। श्रद्धालुओं को बाहर किया गया।

कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम का कहना है कि तेज हवा के कारण मूर्तियां पेडस्टल से नीचे गिरी हैं। लाल पत्थर और फाइबर रेनफोर्स प्लास्टिक से बनी इन मूर्तियों की लाइफ 10 साल है। पत्थर की मूर्तियां बनने में समय लगेगा। फिलहाल कंपनी को ही इनका रखरखाव करना है। क्रेन की मदद से मूर्तियों को दोबारा लगवाया जाएगा। घटना के लिए जिम्मेदारी तय कर एक्शन लिया जाएगा। फिलहाल मूर्तियों को पुनस्र्थापित करने के लिए महाकाल लोक को बंद किया गया है।

कश्यप ऋषि सुरक्षित, शेष की प्रतिमाएं खंडित

सप्तऋषियों में पहले ऋषि हैं कश्यप। महाकाल लोक में सप्तऋषियों में से सिर्फ इनकी प्रतिमा ही सुरक्षित बची है, शेष की खंडित हो गई। सप्तऋषि और उनका परिचय इस प्रकार है-

  • सप्तऋषि में ंपहले ऋषि कश्यप हैं। उनकी 17 पत्नियां थी। अदिति नाम की पत्नी से सभी देवता और दिति नाम की पत्नी से दैत्यों की उत्पत्ति मानी गई है। शेष पत्नियों से भी अलग-अलग जीवों की उत्पत्ति हुई है।
  • दूसरे ऋषि हैं अत्रि। त्रेतायुग में श्रीराम, लक्ष्मण और सीता वनवास समय में अत्रि ऋषि के आ़़श्रम में रूके थे। इनकी पत्नी अनसूइया थी। अत्रि और अनसूया के पुत्र भगवान दत्तात्रेय हैं।
  • तीसरे ऋषि हैं भारद्वाज। इनके पुत्र द्रोणाचार्य थे। भारद्वाज ऋषि ने आयुर्वेद सहित कई ग्रंथों की रचना की थी।
  • चौथे ऋषि हैं विश्वामित्र। इन्होंने गायत्री मंत्र की रचना की थी। भगवान श्रीराम और लक्ष्मण के गुरु थे। विश्वामित्र ही श्रीराम और लक्ष्मण को सीता के स्वयंवर में ले गए थे। विश्वामित्र जब तप कर रहे थे तब मेनका ने इनका तप भंग किया था।
  • पांचवें ऋषि हैं गौतम। अहिल्या गौतम ऋषि की पत्नी थीं। गौतम ऋषि ने ही शाप देकर अहिल्या को पत्थर बना दिया था। श्रीराम की कृपा से अहिल्या ने पुन: अपना रूप प्राप्त किया था।
  • छठे ऋषि हैं जमदग्नि। जमदग्नि और रेणुका के पुत्र हैं भगवान परशुराम। परशुराम ने पिता की आज्ञा से माता रेणुका का सिर काट दिया था। इससे जमदग्नि प्रसन्न हुए और वर मांगने के लिए कहा था। तब परशुराम ने माता रेणुका का जीवन मांग लिया। जमदग्नि ने अपने तप के बल से रेणुका को फिर से जीवित कर दिया था।
  • सातवें ऋषि हैं वशिष्ठ। त्रेता युग में ऋषि वसिष्ठ राजा दशरथ के चारों पुत्र राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के गुरु थे।

महाकाल मंदिर में लगे टेंट उड़ गये, कर्मचारियों की सजगता से दर्शनार्थी सुरक्षित

महाकाल मंदिर क्षेत्र में निर्माण कार्य के कारण मंदिर समिति ने जगह-जगह अस्थाई रूप से टेंट लगा रखे थे। जिनकी छाया में से होकर दर्शनार्थी महाकाल दर्शन के लिए जाते थे। वे सभी टेंट भी उडक़र धाराशायी हो गए। मंदिर परिसर में बेरिकेड्स व टेंट लगाकर बनाया गया अस्थाई मार्ग भी गिर गया। उस समय ड्यूटी पर लगे मंदिर समिति व निजी कंपनी केएसएस के कर्मचारियों ने तत्परता दिखाते हुए दर्शनार्थियों की कतार मानसरोवर और फेसिलिटी-२ भवन में रोक ली। ऐसे में बड़ी घटना टल गई और किसी भी दर्शनार्थी को खरोंच तक न हीं आई।

पूर्व सीएम कमलनाथ ने की दोषियों पर कार्रवाई की मांग

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने महाकाल लोक मंदिर परिसर में घटिया निर्माण करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग टिवटर पर की है। उन्होंने कहा कि जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।

एक और पश्चिमी विक्षोभ उठने से चली हवाएं, प्रदेश मेें अब चार सिस्टम एक्टिव

मध्यप्रदेश में आज से एक और पश्चिमी विक्षोभ एक्टिव हो गया है। नया सिस्टम भोपाल, ग्वालियर समेत प्रदेश के कई जिलों को भिगोएगा। तेज हवा भी चलेगी। सागर, छतरपुर, दमोह, पन्ना, टीकमगढ़ और निवाड़ी में ओले गिर सकते हैं। प्रदेश के कई जिलों में हवा-आंधी की स्पीड 70 किमी प्रतिघंटा तक रह सकती है। प्रदेश में पहले से तीन सिस्टम एक्टिव हैं।

सीनियर मौसम वैज्ञानिक एचएस पांडे ने बताया कि प्रदेश में पहले से चक्रवात और दो ट्रफ लाइनें गुजर रही हैं। रविवार से चौथा नया सिस्टम एक्टिव होने से कई जिलों में बारिश होने का अनुमान है। इस कारण नमी है और दोपहर बाद प्रदेश के कई जिलों में बारिश के साथ तेज हवा चल रही है।

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