साढ़े चार करोड़ दबाकर भूला प्रशासन

महाकाल लोक की दुकानों की टेंडर में पांच सौ से अधिक लोगों के अटके हैं 94-94 हजार रुपए; परेशान लोग पहुंचे कलेक्टर के पास

उज्जैन, (हरिओम राय) अग्निपथ। महाकाल लोक की दुकानों के नाम पर प्रशासन करीब 500 से अधिक लोगों के 94-94 हजार रुपए दबाकर भूल गया है। इन लोगों के साढ़े चार करोड़ से अधिक रुपए स्मार्ट सिटी पास जमा है, जो कब लौटाये जायेंगे, इसकी जानकारी कोई नहीं दे रहा है।

महाकाल लोक बनने के बाद यहां की दुकानों के प्रति लोगों में बड़ा उत्साह का माहौल था। जैसे ही यहां बनी 49 दुकानों की टेंडर का विज्ञप्ति जारी हुई, लोगों ने बढ़-चढक़र इसमें हिस्सा लिया। दुकान की ई-टेंडरिंग प्रक्रिया के तहत जनवरी में ई-टेंडर आमंत्रित किये गये। आखिरी तारीख 16 जनवरी २०२३ तक करीब साढ़े पांच सौ से अधिक लोगों ने इसमें हिस्सा लिया और अमानत राशि के रूप में 94-94 हजार रुपए जमा किये। प्रशासन ने टेंडर की तारीख में मनमाने रूप से परिवर्तन करते हुए उसे आगे बढ़ाई और बिना किसी सूचना के 24 फरवरी को टेंडर खोल भी दिये। टेंडर प्रक्रिया में शामिल लोगों तक टेंडर खुलने की कोई सूचना नहीं भेजी गई।

सप्ताह भर में लौटाना थी अमानत राशि

टेंडर 49 दुकानों के खुलने के बाद शेष आवेदकों को जिनकी संख्या 500 से अधिक है, उनकी अमानत राशि नियमानुसार सप्ताह भर मेें लौटाना चाहिए थी। लेकिन तीन महीने बाद भी यह राशि आवेदकों को नहीं लौटाई गई है। आवेदकों का कहना है कि इस बारे में स्मार्ट सिटी कार्यालय पर जाकर जानकारी मांगों तो कहते हैं आपको सूचना मिल जायेगी। कोई बताने को तैयार नहीं है कि अमानत राशि के 94 हजार रुपए कब लौटाये जायेंगे।

लाखों का ब्याज कमा चुकी है कंपनी

अगर 500 आवेदकों के मुताबिक भी गणना की जाये तो प्रत्येक के 94 हजार रुपए के हिसाब से स्मार्ट सिटी कंपनी के पास साढ़े चार से पांच करोड़ रुपए की राशि जमा है। जिसका ब्याज ही तीन महीने में बैंक के मुताबिक करीब 14 लाख रुपए से अधिक होता है। इन तीन महीनों में इतना रुपया कमाने के बाद भी स्मार्ट सिटी फिलहाल अमानत राशि लौटाने के मूड में नहीं दिखती है।

कलेक्टर के पास पहुंचे आवेदक

स्मार्ट सिटी की मनमानी से परेशान आवेदक अब एकजुट हो गये हैं। मंगलवार को यह सभी लोग कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम से मिलने कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। कलेक्टर तो वहां नहीं मिले, लेकिन जनसुनवाई कर रहीं अपर कलेक्टर एकता जायसवाल से उनकी मुलाकात जरूर हुई। उन्होंने इनका एक आवेदन जनसुनवाई में शामिल कर कार्रवाई शुरू की है। सभी आवेदकों को बुधवार को भी बुलाया है ताकि स्मार्ट सिटी के जिम्मेदारों से चर्चा कर समस्या का हल निकाला जा सके।

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