पुलिसकर्मियों के हक के 42 लाख पर सब इंस्पेक्टर ने डाला डाका

34वीं बटालियन के मृत और बर्खास्त कर्मचारियों के रुपए खुद के परिवार के खाते में डाले

धार, अग्निपथ। जिले में पुलिस कर्मचारियों के हक के रुपयों पर 34वीं बटालियन में पदस्थ एक सब इंस्पेक्टर (एसआई) ने लाखों रुपए पर डाका डाल दिया है। आरोपी बटालियन में वेतन शाखा में विभागीय कामकाज देखता था। इस दौरान साढ़े चार साल में आरोपी ने 42 लाख रुपए विभाग के खातों से दूसरे कर्मचारियों के के बजाय स्वयं व परिवार के लोगों के खातों में ट्रांसफर कर लिया, जिनका उपयोग खुद के शौक पूरा करने में किया है।

इस बात की जानकारी सबसे पहले संबंधित विभाग को लगी, भोपाल स्तर पर हलचल शुरु हुई, जिसमें विभागीय जांच में रुपयों की धोखाधड़ी की बात स्पष्ट हुई व भोपाल से ही मामले में प्रकरण दर्ज करवाने के निर्देश दिए गए थे, जिसके बाद ही धार में पुलिस ने सउनि आरोपी दिग्विजय सिंह चौहान के खिलाफ विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किया है। हालांकि विभाग का ही मामला होने के कारण सीधे तौर पर कोई भी पुलिस अधिकारी कुछ बताने को तैयार नहीं हैं।

मामले को लेकर धार में प्रकरण दर्ज होने के बाद पुलिस ने वैधानिक कार्रवाई शुरु कर दी है। दरअसल शहर के मांडू रोड पर 34वीं बटालियन का कार्यालय बना हुआ हैं। यहां पर ही वेतन शाखा में लोक सेवक लिपिक के तौर पर पदस्थ एसआई दिग्विजय सिंह चौहान था। जहां पर वेतन शाखा में विभागीय काम देखने के दौरान ही गड़बड़ी आरोपी ने शुरु की। इसके लिए आरोपी ने पूर्व में पदस्थ, मृत कर्मचारी, सेवा से बरखास्त, सेवा से त्यागपत्र देने वाले कर्मचारियों के नाम का उपयोग करके इतनी बड़ी राशि की धोखाधड़ी की है।

इस मामले में बटालियन में पदस्थ उप सेनानी की और से कोतवाली थाने पर कल आवेदन सौंपा था, जिसमें जिला कोषालय धार की ओर से प्राप्त राशि को लेकर पत्र भी सौंपा है। धोखाधड़ी की जानकारी सामने आने के बाद धार पुलिस भी हरकत में आ चुकी हैं, क्योंकि कर्मचारियों की राशि का उपयोग आरोपी ने किया। हालांकि आरोपी के गिरफ्तार होने के बाद इस पूरे मामले का खुलासा हो सकेगा। आरोपी ने करीब 42 लाख 85 हजार 167 रुपए की धोखाधड़ी विभाग से की है।

कर्मचारियों के यूनिक आईडी का किया उपयोग

पुलिस विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार विभागीय जांच में यह बात सामने आई कि आरोपी धोखाधड़ी करने के लिए ओ लॉगिन पासवर्ड का उपयोग करता था। आरोपी ने वेतन शाखा में कार्य करते हुए 21 दिसंबर 2018 से 17 फरवरी 2023 के बीच में धोखाधड़ी की है। नाम बदलकर छल-कपट और कूटरचना कर शासकीय कोषालय से पृथक से कर्मचारियों के यूनिक आईडी का उपयोग कर मृत व सेवा से पृथक कर्मचारियों को फ्री पूल से ज्वाइन कराके उनकी राशि स्वयं व परिजनों के खातों में ट्रांसफर कर लिया करता था। विभाग की ओर से आरोपी द्वारा राशि ट्रांसफर करने के लिए उपयोग में लिए गए तीन बैंक खातों की जानकारी भी दी है।

ऐसे की धोखाधड़ी

जानकारी के अनुसार आरोपी ने धोखाधड़ी करने का तरीका अपनाया था। इसके लिए आरोपी मृत व सेवा से पृथक कर्मचारियों के नाम के आगे परिजनों व स्वयं के बैंक खातों को लिखकर ट्रांसफर कर लेता था, क्योंकि लेखा शाखा भोपाल व कार्यालय आयुक्त कोष द्वारा की गई जांच में भी इसी बात का खुलासा हुआ है। आरोपी ने पदस्थापना के बाद वर्ष 2017 में त्यागपत्र देने वाले कर्मचारी भारतसिंह के नाम की राशि को सबसे पहले स्थानांतरित किया था।

इसके बाद आरोपी ने लगातार इस प्रकार के प्रकरणों की फाइलों को सर्च करना शुरु कर दिया ताकि कर्मचारियों व उनके परिवार को मिलने वाली राशि अपने खातों में स्थानांतरित कर सके। विभाग के अनुसार 10 से अधिक कर्मचारियों की राशि आरोपी ने अपने खातों में लेकर विभाग के साथ धोखा किया है।

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