चरक अस्पताल में पेयजल का टोटा, पानी की बोतल खरीदकर ला रहे परिजन

एकमात्र कैंटीन भी बंद पड़ी हुई, टेंडर नहीं निकाल रहा अस्पताल प्रशासन

उज्जैन, अग्निपथ। आगर रोड पर सिंहस्थ के दौरान सर्व सुविधा युक्त अस्पताल का निर्माण कराया गया था। लेकिन यहां शुद्ध पेयजल नाम की कोई चीज नहीं है। 450 बिस्तर के अस्पताल में वर्तमान में सुविधा के लिए लोग तरस रहे हैं और यहां पीने के पानी भी नसीब नहीं हो रहा है। लोग पीने के पानी के लिए इधर-उधर भटकते हैं और फिर बाजार से पानी की बोतल खरीद कर अपनी आपूर्ति कर रहे हैं। क्योंकि एकमात्र चरक अस्पताल की कैंटीन भी काफी दिनों से बंद पड़ी हुई है।

जिला अस्पताल की तरह अब चरक अस्पताल भी लापरवाही और अव्यवस्था का अस्पताल बन गया है। यहां पर प्रसूताओं के साथ ही जन्म लिए बच्चों को भर्ती किया जाता है और उनके लिए यहां पर्याप्त सुविधाएं होना चाहिएं लेकिन पूरा अस्पताल अव्यवस्था का अड्डा बना हुआ है। आधी से ज्यादा यहां की लिफ्ट बंद पड़ी हैं और लोगों को तीन मंजिल तक सीढिय़ां चढक़र जाना पड़ता है। यहां नीचे जो पानी पीने का स्थान है वहां पर नल सूखे पड़े हैं और भीषण गर्मी के दौर में मरीज और उनके परिजनों को पीने का पानी नसीब नहीं हो रहा है। मरीज के परिजन पानी की तलाश में पूरे अस्पताल में भटकते फिर रहे हैं और फिर बाजार से पानी की बोतल लाकर अपनी आपूर्ति कर रहे हैं।

एकमात्र कैंटीन भी बंद करवा दी

मरीजों और उनके परिजनों के लिये चरक अस्पताल में कुछ माह पहले एक कैंटीन संचालित हो रही थी। लेकिन चोरों की धमाल के चलते कैंटीन के पीछे की शटर भी बंद करवा दिया। केवल अंदर से ही पुलिस ने मरीजों के परिजनों का आना जाना करवा दिया। लिहाजा टेंडर समाप्त होने के बाद भी कैंटीन संचालक किसी तरह से संचालन करता रहा। लेकिन आय से ज्यादा व्यय देखकर उसने भी कैंटीन को बंद करना ही उचित समझा और यहां से बोरिया बिस्तर समेटकर चला गया। अब कैंटीन लेने के लिये कोई आगे नहीं आ रहा है।

प्रसूताओं के लिये गर्म पानी और मूंग की दाल का टोटा

प्रसूति के बाद प्रसूताओं को गर्म पानी और मूंग की दाल का पानी चाहिये होता है। लेकिन एकमात्र कैंटीन के बंद हो जाने से मरीज के परिजनों को घर अथवा अन्य और कहीं से इन दोनों चीजों को लाना पड़ रहा है। हालांकि बाहर भी ठेले आदि लगे हुए हैं, लेकिन उनके पास यह सब व्यवस्थाएं नहीं होने के कारण मजबूरी में परिजनों को चामुंडा चौराहा की होटल अथवा देवासगेट जाकर यह सब व्यवस्थाएं जुटाना पड़ रही हैं।

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