महाकाल महालोक में महाभ्रष्टाचार : देखने में सुंदर-माल कमाने में आसानी

दीवार पर कारीगरी- गेट की नक्काशी : आर्ट वर्क में कमाल का आर्ट, बिना माल दिखाए तय किये रेट

उज्जैन, (हरिओम राय) अग्निपथ। भूतभावन भगवान श्री महाकाल की तरह ही श्री महाकाल महालोक की गाथा भी अनंत है। महालोक बनाने वालों की मनमानी की गाथा भी अनंत है। आप जहां नजर दौड़ाओगे भ्रष्टाचार और मनमानी स्पष्ट नजर आयेगी।

महाकाल के दरबार में काली कमाई की सोच रखने वालों की पोल तो खुद महाकाल ने खोल दी। एक-एक कारगुजारी सामने आ रही है वो भी मय दस्तावेज के। महाकाल के एक इशारे में लाखों रुपए की कमजोर मूर्तियां मामूली हवा में उड़ गई। जो बची उनमें दरारें आ गई। शिव स्तंभ के अंदर से कांक्रीट की पोल भी सामने आ गई।

आज हम उस मनमानी को बता रहे हैं, जिसकी पोल भी खुद महाकाल ने खोली है, और वो है श्री महाकाल महालोक में लगी पत्थरों की कारीगरी या नक्काशी या फिर भित्ति चित्र। जो महाकाल महालोक को तो सुंदर बनाते ही हैं, साथ-साथ कई लोगों के घर (जेब) भी सजा रहे हैं।

मनमानी की कारण बन आई थी जान पर

आप लोगों को याद होगा कि महाकाल महालोक में प्रतिमाएं धराशायी होने के बाद कांग्रेस की प्रदेश स्तरीय जांच समिति आयी थी। उसी वक्त श्री महाकालेश्वर ने जिम्मेदारों की एक और मनमानी का संकेत दिया था। महालोक में शिव (नंदी) द्वार का नक्काशीदार गुबंद नीचे गिर गया था। महाकाल की मेहरबानी से नीचे खड़े मीडियाकर्मी मनोज कुशवाह चंद सेकंड पहले ही वहां से हटे और बाल-बाल बच गये थे। भूतभावन का स्पष्ट संकेत था कि यहां भी जबर्दस्त गड़बड़ी हुई है।

13.95 करोड़ का काम, आयटम क्या रहेगा यह भी तय नहीं

श्री महाकाल महालोक में जब नक्काशीदार आयटम के टेंडर फायनल हुए, उस वक्त यह कहीं भी तय नहीं किया गया था कि किस सामान या पत्थर का क्या लगाना है। टेंडर के आइटम नंबर 14 में बाउंड्री वाल पर पत्थरों की कारीगरी, भित्ती चित्र, पेंटिंग, शिव द्वार आदि पर नक्काशी आदि काम का जिक्र है।

काम 13.95 करोड़ रुपए में फायनल हुआ, लेकिन इसमें कहीं भी यह तय नहीं किया गया था कि नक्काशी या भित्ति चित्र या फिर आर्ट वर्क किस पत्थर पर किया जायेगा, पत्थर कितना मोटा होगा या फिर आर्ट वर्क कितना गहरा होगा और कैसे तैयार होगा आदि तमाम जरूरी तथ्यों को तय नहीं किया गया था। परिणाम यह हुआ कि काम मनमानीपूर्ण तरीके से हुआ। आर्टवर्क के नाम पर गुंबदों को केमिकल से चिपकाया गया। जिसका परिणाम सभी के सामने है।

जांच टीम के सामने ही चिपका हुआ गुंबद गिर गया। शुक्र है कोई इसकी चपेट में नहीं आया, अन्यथा करीब दो-ढाई किलो वजनी यह गुंबद ऊंचाई से गिरने पर जानलेवा भी साबित हो सकता था।

रैलिंग के काम में भी सामान तय नहीं

जिस तरह पत्थर आर्ट वर्क के काम में आयटम का नाम तय नहीं किया गया, उसी प्रकार यहां लगाई गई सजावटी (आरनामेंटल) रैलिंग- पोस्ट आदि के भी रेट तय कर दिये गये, लेकिन यह तय नहीं किया गया कि किस आयटम से इसे बनाया जायेगा। सूत्रों के मुताबिक प्रत्येक रैलिंग व पोस्ट की कीमत 65 हजार रुपए तय किये गये। जबकि रैलिंग की साइज, उंचाई, मोटाई, मटेरियल आदि तय नहीं किया गया। नीचे और उपर की रैलिंग के रेट भी अलग-अलग दिये गये हैं। यह रैलिंग भी अब चंद महीनों में ही हिलना शुरू हो गई, जल्दी ही गिरने भी लगेगी।

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