ग्रामीणों के 70 घर चिन्हित, ट्रेंनिग दे रहा जिला प्रशासन
धार (धीरेंद्र सिंह तोमर)। यदि सबकुछ ठीक रहा तो आनेवाले दिनों में मांडू में टूरिज्म एक नए आयाम गढऩे वाला है। जी हाँ। जिला प्रशासन होम स्टे योजना के अंतर्गत जल्द ही मांडू से सटे मालीपुरा एवं अन्य गांवों में चिन्हित लगभग 70 ग्रामीणों के घरों को होटलों में तब्दील करने जा रहा है। वह भी पूर्णत: सांस्कृतिक रंग में। इन घरों में पर्यटक रुक तो सकेंगे ही बल्कि यहां की संस्कृति में भी रंगने का उन्हें मौका मिलेगा। प्रशासन ऐसी भी व्यवस्था कर रहा है जिसमें पर्यटकों को यहां पूर्णत: हाइजीनिक फ़ूड और वे तमाम सुविधा मिले जो वे चाहते हैं।
भवन आदिवासी का, ट्रेनिंग प्रशासन की
होम स्टे योजना अंतर्गत चिन्हित सभी भवन स्थानीय आदिवासियों के रहेंगें। किंतु भवन का लेआउट प्रशासन का रहेगा। जिसमें हितग्राही के मकान में कुछ एक छोटे मोटे बदलाव देकर बदला जाएगा। जिसे गुजरात के आर्किटेक्ट तैयार कर रहे हैं। जो कि सभी जगह पर निर्धारित रहेगा। जिसमें स्वच्छ बिस्तर, स्वच्छ पानी साथ ही बेसिन एवं कमोर्ड की भी व्यवस्था रखना होगी। इसी के साथ आदिवासी एवं उसके परिवार को पर्यटकों को किस तरह से ट्रीट करना है इसकी उन्हें व्यवस्थित ट्रेनिग भी दी जावेगी। इस ट्रेंनिग का प्रथम चरण प्रारंभ भी हो चुका है।
स्वावलंबी बनेगा आदिवासी और बढ़ेगा पर्यटन
होम स्टे योजना का मुख्य उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ साथ स्थानीय आदिवासियों को काम दिलवाकर स्वावलंबी बनाना भी है। इस योजना से भारत एवं विदेशी पर्यटकों को हमारी संस्कृति से जुडऩे का भी मौका मिलेगा। चूंकि क्षेत्र में बारह महीने रोजगार नहीं होता है अत: यह योजना यदि सफल होती है तो यहां के आदिवासी के लिये मिल का पत्थर साबित हो सकती है।
कैबिनेट की बैठक के बाद आएगी काम में गति
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश कैबिनेट की बैठक में इस संबंधित कुछ अनुमति के बाद हितग्राहियों को आंशिक आर्थिक मदद दी जा सकेगी। जो कि अगले सप्ताह के अंत तक मिल जावेगी। प्रदेश सरकार के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर आर्किटेक्ट एजेंसी गुजरात की है जिसपर लोकल एरिया एडमिनिस्ट्रेशन स्थानीय एजेंसी का रहेगा। लोकल एजेंसी ग्रामीण हितग्राहियों से प्रशासनिक जुड़ाव का कार्य करेगी।
लोकल फ़ॉर वोकल से जुड़ी है थीम
इस योजना से हमारा प्रयास रहेगा कि स्थानीय रोजगार को बढ़ावा मिले। साथ ही पर्यटकों को यहां के कल्चर से जुडऩे का मौका भी मिले। इसी प्रकार के प्रयासों से यहां के मजदूरों का माइग्रेशन भी कम होगा। – आलोक कुमार सिंह, कलेक्टर धार