कलेक्टर ने दिए लौटाने के निर्देश; तहसीलदार को दोषी मानते हुए विभागीय जांच के आदेश
उज्जैन, अग्निपथ। ऋण वसूली के नाम पर बैंक के प्रबंधक, दलाल, सांसद प्रतिनिधि ने किसान के साथ धोखाधड़ी की। मामले की जांच में कलेक्टर ने शिकायत के तथ्यों को सही पाया और बैंक को पैसा लौटाने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में तहसीलदार मधु नायक को दोषी मानते हुए विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।
कलेक्टर पुरुषोत्तम कुमार ने पांच मई को आदेश जारी किया है। इसमें उन्होंने बताया कि किसान क्रेडिट स्कीम के तहत 9 लाख 90 हजार रुपए की राशि कर्नाटक बैंक के द्वारा स्वीकृत की गई थी। समय सीमा में बैंक का पैसा नहीं लौटा पाने की वजह से 11लाख 71 हजार 685 रुपए वसूली का आरआरसी आवेदन आया था।
इस मामले में कर्नाटका बैंक के प्रबंधक, बैंक दलाल राजेश रमानी, भूमाफिया पुनीत जैन ने वसूली की आड़ में धोखाधड़ी करके घट्टिया निवासी अर्जुन सिंह पिता नागू सिंह से ज्यादा राशि वसूल कर ली। कलेक्टर ने जांच में तत्कालीन तहसीलदार मधु नायक को भी इस मामले में दोषी पाया। उन पर आरोपियों को लाभ पहुंचाने का आरोप सही पाए जाने पर विभागीय जांच के आदेश किए गए हैं। बैंक ने 9 सिंतबर 2015 को किसान का लोन स्वीकृत किया था।
किसान संघ ने घट्टिया में दिया आवेदन
इस मामले में किसान संघ के ईश्वर सिंह आदि ने घट्टिया में आवेदन दिया है। इसमें आरोप लगाया गया कि किसान प्रेमाबाई पति विक्रम सिंह गांव सलामत की भी जमीन नियम के विरुद्ध नीलाम की गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि किसान पर 12 लाख रुपए का कर्ज था, उसकी 16 बीघा जमीन को मात्र 30 लाख रुपए में नीलाम कर दिया गया। जबकि उसकी जमीन करोड़ों रुपए कीमत की थी।
तहसीलदार ने लाभ पहुंचाने का प्रयास किया
कलेक्टर ने जांच में पांच बिंदुओं के आधार पर तहसीलदार द्वारा की गई गल्तियों का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि बंधक जमीन के प्रकरण में तहसीलदार ने बैंक की धन वसूली के दौरान गाइडलाइन के मुताबिक जमीन का विक्रय मूल्य का तुलनात्मक अध्ययन नहीं किया। नीलामी भी लाभ पहुंचाने के लिए की गई। कुर्क की प्रक्रिया में भी लापरवाही बरती गई। तहसीलदार ने बकायादार के अंतिम आवेदन को निराकरण भी कानून के मुताबिक नहीं किया।
मेरे खिलाफ जो भी आरोप लगाए गए हैं वे पूरी तरह से निराधार हैं।– पुनीत जैन, सांसद प्रतिनिधि उज्जैन