उज्जैन कांग्रेस में गुड्डू की वापसी से कई राजनीतिक समीकरण बिगड़े

ग्रामीण इलाकों में सभी नेताओं से नहीं मिल पाए जयवर्धन, नाराज होने लगे कार्यकर्ता

उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन कांग्रेस में प्रेमचंद गुड्डू की वापसी को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं। वहीं सबसे ज्यादा चिंता में विधानसभा के दावेदारों में है। क्योंकि गुड्डू की उज्जैन में इंट्री से सारे राजनीतिक समीकरण बिगड़ गए हैं। पहले भी जब वे यहां राजनीति कर रहे थे। तब कई दिग्गजों को घर में बिठा दिया था। यहां तक की अपना नया गुट खड़ा कर दिया था।

पिछले दिनों प्रेमचंद गुड्डू जब उज्जैन आए थे। तब खबर के कई मायने लगाए जा रहे थे। परन्तु मीडिया में उन्होंने उज्जैन में राजनीतिक रूप से सक्रिय रहने का दावा करके सनसनी फैला दी थी। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव विधानसभा का टिकट चाहने वाले दावेदारों पर पड़ा है। क्योंकि राजनीतिक रूप से समीकरण गड़बड़ाने के बाद नया विकल्प तैयार हो गए हैं। कुछ नेताओं का मानना है कि गुड्डू के उज्जैन में सक्रिय होने से कांग्रेस के कई गुटों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ जाएगी।

गुड्डू किसके कहने से यहां आएं हैं। अभी कई नेता इसकी खोजबीन में लगे हुए हैं। कुछ का मानना है कि दिग्विजय सिंह ने उन्हें उज्जैन में सक्रिय किया है। ताकि उनके बेटे और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह को उज्जैन में राजनीतिक रूप से खड़ा होने में मदद मिल सके। हालांकि जयवर्धन सिंह के आने से उज्जैन कांग्रेस को कितना फायदा शहर में हुआ यह साफ नहीं हो पाया है। परन्तु ग्रामीण इलाकों में उनका नकारात्मक प्रभाव पडऩे लगा है।

ग्रामीण इलाके में सभी गुटों से नहीं मिलने की वजह से नाराजगी बढऩे लगी है। दावा किया जा रहा है कि ग्रामीण इलाके में कांग्रेस को मजबूत करने का प्रयास कभी भी नहीं किया गया है। जबकि कांग्रेस को सबसे ज्यादा मजबूती ग्रामीण इलाकों से मिलती रही है। केवल तराना में महेश परमार की पकड़ मानी जाती है।

अब तक जिला कार्यकारिणी का गठन ही नहीं हुआ

बताया जाता है कि कांग्रेस जिलाध्यक्ष कमल पटेल ने अब तक जिला कार्यकारिणी का गठन ही नहीं किया है। वे खुद तो निष्क्रिय रहते ही हैं कार्यकर्ताओं को भी सक्रिय करने के लिए प्रयास नहीं करते हैं। अभी तक उन्होंने अपनी नई कार्यकारिणी का गठन नहीं किया है। इससे कांग्रेस कार्यकर्ता नाराज है। वहीं नारी स मान योजना के फार्म भी वे अपने गुट के लोगों को ही दे रहे हैं। कई ग्रामीण इलाके के कांग्रेस नेताओं को फार्म ही उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। इसकी शिकायत भी वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं से की गई है।

बीएलओ और बूथ लेवल पर नहीं हुआ था काम

पिछले दिनों उज्जैन उत्तर और दक्षिण विधानसभा क्षेत्र की बैठक में मंडलम, सेक्टर और बीएलओ अधिकारी ही नहीं पहुंचे थे। जो पहुंचे थे, वे बता ही नहीं पाए थे कि उनके इलाके में कितने बूथ हैं और वे किस तरह से काम कर रहे हैं। पूर्व सीएम खुद ही इससे नाराज हो गए थे। उन्होंने अधूरी तैयारी को माना था और स ती से निर्देश दिए थे कि ग्राउंड लेवल पर फिर से काम किया जाए। इस मामले में जयवर्धन सिंह भी अभी कुछ नहीं कर पाए हैं।

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