महाकाल मंदिर में बिगड़ न जाये सावन-भादौ की दर्शन व्यवस्था: बारिश सिर पर, टनल अधूरी

टनल का एक सिरा जहां अभी छत डालने के लिए तरापे लगाए हैं।

अभी छत भी नहीं डली, कैसे करोगे 15 दिन में काम पूरा

उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में टनल बनाकर सावन-भादौ की व्यवस्थाएं सर्वसुविधायुक्त बनाने का दावा करने वाले मंदिर समिति और विकास प्राधिकरण के अधिकारी अब उलझ गये हैं। दंभ भरे दावे करने वाले का दांव अब उलटा बैठ गया है। बारिश सिर पर है, २० दिन बाद सावन मास शुरू हो जायेगा और टनल की अभी छत भरना भी शुरू नहीं हुई है। इसके बाद भी जिम्मेदार दावा कर रहे हैं जून में काम पूरा कर देंगे। आखिर 15 दिन में टनल कैसे पूरी होगी, आज यह सवाल मंदिर से जुड़े हर व्यक्ति की जवान पर है।

15 मई को जिम्मेदारों का दावा : एक महीने में कर देंगे पूरा

मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने करीब एक महीने पहले 15 मई को मीडिया को बताया था कि मंदिर में 2.50 करोड़ रुपए की लागत से अंडर ग्राउंड कॉरिडोर बन रहा है। कॉरिडोर की लंबाई करीब 45 मीटर होगी। यह 20 मीटर तक चौड़ी होगी। जमीन से ऊपर यह 40 मीटर तक लंबा रहेगा।

यह कॉरिडोर नवग्रह मंदिर के पास से अंडरग्राउंड होकर नंदी हॉल के पीछे गणेश मंडपम (कार्तिक मंडपम के नीचे) से कनेक्ट होगी। यहां दर्शनार्थी भगवान महाकाल के दर्शन कर सीधे दूसरी ओर बन रही टनल से बड़े गणेश मंदिर के सामने (प्रस्तावित शिखर दर्शन प्वाइंट) निकल जायेंगे। इस लिए एक महीने का समय चाहिए। इस कारण एक महीने के लिए दर्शन व्यवस्था में भी बदलाव किया गया था।

टनल का दूसरा हिस्सा जहां अभी छत डालने के लिए तरापे लगाए जा रहे हैं।

अब कहते हैं- 30 जून तक कर लेंगे पूरा

हाल ही में मंदिर प्रशासक संदीप सोनी (जो कि विकास प्राधिकरण सीईओ भी हैं) ने पुन: मीडिया को नया वादा किया है कि 30 जून तक टनल का काम पूरा कर लेंगे। ताकि सावन माह में टनल की उपयोगिता साबित हो सके। अखबारों में श्री सोनी के हवाले से प्रकाशित किया गया है कि मंदिर में नवग्रह मंदिर और गणेश मंडपम के बीच की दीवार को हटाकर वहीं से श्रद्धालुओं को सीधे गर्भगृह के दर्शन करवाए जा सकेंगे।

इसके लिए 10 कतार में गणेश मंडपम् से और 10 कतार में गणेश मंडपम् के ऊपरी हिस्से यानी कार्तिकेय मंडपम से श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। 20 कतार से एक साथ दर्शन के लिए मंदिर प्रबंध समिति ने 4 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट बनाया है। फैसिलिटी सेंटर 1 और 2 से आने वाले श्रद्धालुओं को बिना इंतजार किए सीधे 20 कतारों के माध्यम से दर्शन लाभ हो सकेंगे।

सब्जबाग मत दिखाइए, हकीकत से सामना कीजिए

मंदिर समिति प्रशासक मीडिया के माध्यम से तरह-तरह के सब्जबाग दिखा रहे हैं। उनका यह दावा कि 30 जून तक टनल का काम पूरा हो जायेगा, बिल्कुल भी प्रैक्टिकल नहीं है। वर्तमान में टनल का निर्माण अधूरा है। उस पर छत भी नहीं डाली गई है। छत भरने के बाद करीब 15 दिन का वक्त तो छत को सेट होने के लिए छोडऩा होता है। उसके बाद छत के नीचे के शेष काम होंगे। आसपास मिट्टी के ढेर है। कनेक्टिंग टनल का काम भी अधूरा है। यह स्थिति टनल के दोनों सिरों की है, फिर भी 30 जून तक टनल निर्माण का दावा कर लोगों को भ्रमित किया जा रहा है।

टनल निर्माण के कारण दर्शनार्थी भी परेशान

टनल निर्माण के लिए एक महीने का समय मांगते हुए पिछले महीने 17 जून से दर्शन व्यवस्था बदली गई थी। उसके साथ ही महाकालेश्वर मंदिर परिसर में दर्शनार्थियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। तर्क दिया था कि लोगों की आवाजाही से टनल निर्माण का काम प्रभावित होगा। इस कारण दूरदराज से आने वाले दर्शनार्थी श्री महाकाल के अलावा अन्य प्राचीन मंदिरों में दर्शन लाभ नहीं ले पा रहे हैं।

बारिश हो गई तो कहां जायेगा पानी

अभी जिम्मेदारों ने शायद इस बारे में भी विचार नहीं किया होगा कि अगर कभी अचानक बारिश आ गई तो पानी कहां जायेगा। क्योंकि वर्तमान में सबसे निचला हिस्सा टनल ही है। अगर तेज बारिश हो जाती है तो ऐसे में बारिश का पानी टनल में जमा होगा और टनल में घुसे पानी को निकलने की कहीं जगह नहीं है। वो पानी मंदिर में ही जायेगा।

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